गुंडों में ऐसा क्या पाया लोगों ने ?

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** गुंडों में ऐसा क्या पाया लोगों ने ? संसद तक देखो पहुँचाया लोगों ने। इतनी हिम्मत! मार रहे अब वोटर को! बकरी को भी…

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उसे हाल दिल का सुनाने चला हूँ

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** उसे हाल दिल का सुनाने चला हूँ। मैं फिर से नई चोट खाने चला हूँ। दुखा कर मेरा दिल ख़फ़ा जो हुआ है, उसी…

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आज बहुत रोने का मन है..

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** भीतर से मैं टूट चुका हूँ, आज बहुत रोने का मन है। दूर कहीं बस्ती से जाकर, जी भर कर सोने का मन है॥…

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मिलती खुशियाँ नहीं ज़माने से

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** मिलतीं खुशियाँ नहीं ज़माने से, मांग लेता हूँ मैं वीराने से। बाप-माँ तो खुदा सरीखे हैं, बाज आओ इन्हें रुलाने से। आग छप्पर की…

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माँ,जहाँ में मैं भी आना चाहती हूँ

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** भैया के ही जैसे हर पल खिलखिलाना चाहती हूँ, माँ नहीं मारो,जहाँ में मैं भी आना चाहती हूँ। है यही बस लालसा देखूँ ज़माने…

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छाले पड़े पाँव में

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** रोटी की तलाश हेतु जाम में फँसे हैं आज, कभी दिन कटते थे पीपल की छाँव में। गंदगी शहर की ये झेलते हैं रात-दिन,…

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एकांत भाता है मुझे

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** शांति का परिवेश यह एकांत भाता है मुझे, पर वो फुल साउंड में डीजे सुनाता है मुझेl शर्म से यह चेहरा पीला पड़ा है…

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कैसे लोग चला देते हैं बच्चों पर शमशीर

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************** सोच-सोच कर मन यह मेरा होता रोज अधीर, कैसे लोग चला देते हैं बच्चों पर शमशीरl कैसे उसको पाला होगा, पल-पल उसे सम्हाला होगाl…

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आजाद पंछी था मैं,मगर..

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************** खूबसूरत बला क्यों मेरी हो गईl फूल से फूलकर फुलझड़ी हो गईl एक आजाद पंछी था मैं भी मगर- हाथ क्या दे दिया,हथकड़ी हो…

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मैं डर कर भाग जाता हूँ

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************** नहीं तेरे मैं सपनों में लगाने आग जाता हूँ। तुम्हारा जिक्र आते ही मगर मैं जाग जाता हूँ। कहीं फिर प्यार का इजहार तुम…

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