मैं भारत हूँ

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* बसे दिल में सभी के वो ज़ियारत हूँ मैं भारत हूँ। (तीर्थ)मैं गीता वेद क़ुर’आँ की बशारत हूँ मैं भारत हूँ। (दिव्य प्रेरणा) रहा है इल्म से परचम ज़माने में मेरा ऊँचा, (ध्वज)मैं गौतम और गाँधी की बसारत हूँ,मैं भारत हूँ। (दृष्टिकोण) हिला सकता नहीं बुनियाद जिसकी कोई भी … Read more

तेरी रज़ा के चराग़

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* उमीद के रखें हम दिल में यूँ सजा के चराग़,हवा में जैसे रखे जाते हैं जला के चराग़। सभी के हक़ में दुआ आइए यही मांगे,वबा ये अब न बुझाए किसी बक़ा के चराग़। इसी के रहम-ओ-करम पर है ज़िंदगी इनकी,जलें-बुझें कहाँ मर्ज़ी बिना हवा के चराग़। हो अज़्म … Read more

इन दिनों

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* सबने ख़ुदा तुझे ही पुकारा है इन दिनों,तेरे सिवा न कोई सहारा है इन दिनों। अफ़सुर्दा महफ़िलों का नज़ारा है इन दिनों,तन्हाइयों का साथ गवारा है इन दिनों। आयी वबा तो साथ में क्या-क्या न ले गई,मैं क्या बयाँ करूँ जो ख़सारा है इन दिनों। चीज़ें हुईं हैं महंगी … Read more

दिल चाहता है आसमाँ-सा प्यार

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* बे-लौस महब्बत भरा क़िरदार ज़मीं पर।दिल चाहता है आसमाँ-सा प्यार ज़मीं पर। गर इश्क़ में तासीर हो मंज़र है ये मुमकिन,हो अर्श के महबूब का दीदार ज़मीं पर। उल्फ़त का जहां भर में नहीं मुल्क है कोई,हिंदोस्ताँ से बढ़ के परस्तार ज़मीं पर। है प्यार ज़ियादा ये गुमाँ तोड़ने … Read more

अनहद नाद

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* रचना शिल्प: मात्रा भार १६/१४ जीवनभर जो गूंजे ऐसा,मधुरिम राग सुनाओ ना।हाथ छुड़ाकर कहाँ चल दिये,दो पल साथ निभाओ ना॥ निश्चित है जाना ये माना,किंतु बिछड़ने से पहले,गीत मिलन के गाओ जिससे, पीर विरह की मन सह ले।कल आँसू हों सस्मित मेरे,सुधि ऐसी दे जाओ ना,जीवनभर जो गूंजे ऐसा,मधुरिम … Read more

उसने इक नज़र देखा

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)************************************************** इस कदर उसने इक नज़र देखा।हमने ख़ुद को ही बन सँवर देखा। हमने देखा है देखना उसका,उसने मुड़-मुड़ के फिर इधर देखा। दीद के बाद उसकी यादों को,हर क़दम हमने हमसफ़र देखा। उसने पल भर जहाँ किया था क़याम,हमने छू-छू के वो शजर देखा। तन्हा चलते रहे मगर हमने,रास्ता … Read more

तुझे ही पुकारा है इन दिनों

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)********************************************************************  रचना शिल्प:वज़्न-२२१ २१२१ १२२१२१२ सबने ख़ुदा तुझे ही पुकारा है इन दिनों।तेरे सिवा न कोई सहारा है इन दिनों। अफ़सुर्दा महफिलों का नज़ारा है इन दिनों।तन्हाइयों का साथ गवारा है इन दिनों। आयी वबा तो साथ में क्या-क्या न ले गई,मैं क्या बयाँ करूँ जो ख़सारा है इन दिनों। … Read more

सब ख़ैरियत तो है

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  मिली हर शह्र को वीरानियाँ सब ख़ैरियत तो है ? सिफ़ारिश पा रही हैं दूरियाँ सब ख़ैरियत तो है ? बने फिरते थे सैलानी ज़माने भर के मुल्क़ों में, उड़ानों पर लगी पाबंदियाँ सब ख़ैरियत तो है ? जहाँ दिन रात रौनक रश्क़ करती थी जहां भर … Read more

मेरी दादी कहती थी

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  (रचना शिल्प:कुकुभ छंद आधारित, १६ + १४=३० मात्रा प्रतिपद,पदांत SS,युगल पद तुकांतता।) मिल-जुल कर इस घर में रहना,मेरी दादी कहती थी। समझौता जीवन का गहना,मेरी दादी कहती थी। कहती थी लड़ने से बच्चों,घर की बरकत जाती है। लाख जतन कर लो फिर लेकिन,कभी न रौनक आती है। … Read more

शिफ़ा दे मौला

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  बख़्श दे ज़ीस्त जहां को न क़ज़ा दे मौला। जानलेवा ये मरज़ है तू शिफ़ा दे मौला। कर करिश्मा के हकीमों के ज़हन हों रोशन, कुछ तो ईजाद करा कोई दवा दे मौला। लोग ख़िदमत में लगे हैं जो फ़रिश्तों की तरह, उनकी सेहत को मेरे दिल … Read more