न कहना ख़ुदा भी नहीं रहा अब तो

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  ख़ुशी का कोई सिला भी नहीं रहा अब तो। यहाँ ग़मों का पता भी नहीं रहा अब तो। ख़ता हुई तो मुझे उसने ये सज़ा दी है, किया मुआफ़ ख़फा भी नहीं रहा अब तो। जो अश्क़ का था समंदर उदास आँखों में, हुआ न ख़ुश्क भरा … Read more

कसक

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  संघर्षों का ये फल है क्या, बेमतलब कोलाहल है क्या। हमको तुमसे लड़वाएगा, सियासतों का दंगल है क्या। ये जो नफ़रत फैलाते हैं, कोई इनका कायल है क्या। क़ातिल को मेरा बतलाया!! क्या कहता है ? पागल है क्या ? हर मजहब ये सिखलाता है, हिंसा भी … Read more

रंज-ओ-ग़म गुनगुना लीजिए

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  एक नग़मा बना लीजिए, रंज-ओ-ग़म गुनगुना लीजिए। अपनी कमियों के एहसास को, बांसुरी सा बजा लीजिए। राह के ख़ार को चूम कर, मुश्किलों को सजा लीजिए। दर्द ने मीर-ओ-मीरा गढ़े, दर्द का भी मज़ा लीजिए। शम्स हो जाए गर चे गुरूब, शम’अ बन जगमगा लीजिए। सच का … Read more

चाँद

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  ऐ चाँद, तुझे देख, मुझे लगता है यूँ, दुनियादारी के, रंग सभी, तुझमें है भरे, कितना है मतलबी, तू देख अरे…l सूरज का, ले प्रकाश, प्रथमा-द्वितीया को, विनीत भाव से, सूरज के संग, खड़ा रहता है, और सूरज की, सहायता से, सहानुभूति से, जब तेरी, प्रगति होती … Read more

प्यारी चिट्ठियाँ

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  आसमां पर बादलों की चित्रकारी चिट्ठियाँ। शाम,शब,शबनम,शज़र,गुल रब की प्यारी चिट्ठियाँ। ले के आतीं हैं कभी उम्मीद के सूरज गई, या कभी ढलती हुई शामों-सी हारी चिट्ठियाँ। रात में तारीक़ियाँ बढ़ने लगीं तो फिर यहां, चांद तारे शम’अ सी रोशन उतारी चिट्ठियाँ। दो घड़ी की ज़िंदगी का … Read more

पहचान है ये हिंदी

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************************************  हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. माँ शारदे का न्यारा,वरदान है ये हिंदी। इस हिंद देश की तो,पहचान है ये हिंदी॥ हिंदी है गंगा-यमुना,सी एक नदी पावन। स्वर और व्यंजनों की,लहरें है जिसमें बावन॥ नव पीढ़ी आओ आगे,निज शक्तियां संभालो। पाना है संस्कृति तो,इस नीर में नहा लो॥ संस्कृत-सी … Read more

प्यार कौन करे

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************************************  ज़िंदगी फिर से ख़ार कौन करे। प्यार अब बार-बार कौन करेl प्यार मीरा-सी इक इबादत है, प्यार को दागदार कौन करेl जिसके किरदार में न खुशबू हो, ऐसी सूरत से प्यार कौन करेl प्यार है इक सदा खमोशी की, प्यार को इस्तहार कौन करेl प्यार की राह … Read more

श्रीकृष्ण की शिक्षा

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************************************  कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. अगर श्रीकृष्ण की शिक्षा का जग को ज्ञान हो जाए, तो मानव जाति का जीवन सुखद वरदान हो जाए। जनम माँ देवकी ने दी,यशोदा माँ ने था पाला, लला वसुदेव का था पर,कहाया नंद का लाला। कि पालनहार का माँ-बाप-सा सम्मान हो जाए, … Read more

देखा है

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’  छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ******************************************************************************************** हारना तीरगी का देखा है। हौंसला आदमी का देखा है। मंजिलों की लगन में राही ने, रास्ता कब किसी का देखा है। राह की मुश्किलों से लड़-लड़ के, हमने बढ़ना नदी का देखा है। धूप में बेचता है वो पानी, जीस्त में तिश्नगी का देखा है। सौंपकर … Read more

दो जून की रोटी

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’  छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************************************* दो जून की रोटी मिलती,हम हैं किस्मतवाले। कितने लोग भूखे रहते हैं,मिलते नहीं निवाले॥ हाथ ठेला लिए धूप में,आम-जाम चिल्लाए, तब जाकर घरवालों को वो,आधा पेट खिलाए। रोटी की खातिर बेचे,गुपचुप चने मसाले, कितने लोग भूखे रहते हैं,…॥ फूल बेचने वाले बच्चे,ढूंढे दृष्टि आस की, आधा तन … Read more