तेरी हस्ती है माँ

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… बीज को तूने पेड़ बनाया, तूफानों से मुझे बचाया। गर्भ-जून तेरी मैं पाकर, धन्य हुआ नौ महीने बिताकर। ममता के आँचल से ढांका, दे दी थपकी जब मैं जागा। जग के डर से जब भी रोया, तेरे आँचल में चैन से सोया। रातों … Read more

क्यों करता हूँ कागज काले…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** क्यों करता हूँ कागज काले ? बैठा एक दिन सोच कर यूँ ही, शब्दों को बस पकड़े और उछाले। आसमान यह कितना विस्तृत, क्या इस पर लिख पाऊंगा! जर्रा हूँ मैं इस माटी का, माटी में मिल जाऊंगा। फिर भी जाने कहां-कहां से, कौंध उतर-सी आती है। … Read more

होली

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** सात रंग में सबसे गहरा,है ये प्रेम का रंग, बरस-बरस आती है होली,भीगे इक-इक अंग। रंगों का बन इंद्रधनुष,चहुंओर उड़े है गुलाल, रंग-रंग मिल एक हुए यूँ,दूर हुए हैं मलाल। ढाई आखर कबीर के पढ़ गयी,मीरा मोहन संग, सात रंग में सबसे गहरा,है ये प्रेम का रंग। … Read more