दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………
बीज को तूने पेड़ बनाया,
तूफानों से मुझे बचाया।
गर्भ-जून तेरी मैं पाकर,
धन्य हुआ नौ महीने बिताकर।
ममता के आँचल से ढांका,
दे दी थपकी जब मैं जागा।
जग के डर से जब भी रोया,
तेरे आँचल में चैन से सोया।
रातों की नींदों को खोकर,
सूखा दिया,गीले में सोकर।
दूध के बदले तुझको काटा ,
फिर भी तूने कभी न डांटा।
जाग-जाग कर करी तिमारी,
तूने हर ली मेरी बीमारी।
पकड़ के उंगली चलना सिखाया,
कहीं गिरा तो मुझे उठाया।
चलते-चलते थक गया तो,
गोद में लेकर सीने लगाया।
गुर-ज्ञान का मुझे सिखाया,
ज्ञान का सूरज भी शरमाया।
प्रथम गुरु का रूप जो तू थी,
तूने पढ़ा दी ज्ञान की पोथी।
अचेतन चित्त को चेतन बनाया,
कोमल तेरी ममता की छाया।
पथकंटक को तूने चुनकर,
फूलों-सा मेरा जीवन खिलाया।
बचपन में तू बनी बागबाँ,
तभी तो तेरी हस्ती है माँ।
तू जो मेरी माँ न होती,
किस्मत मेरी फूट के रोती।
जीवन भले गुजर भी जाए,
हाथ तेरा आशीष लुटाए।
जग में जन्म कितने ही पाऊँ,
तुझे ही माँ के रूप में ध्याऊंll
परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|