रे कपूत!अब भी संभल

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** गाली दे दे एक को,तुम बना दिये स्टार। जनता अब बुद्धू नहीं,जीते चौकीदारll गाली दे थकते नहीं,बहुसंख्यक को आज। लोकतंत्र है शर्मसार,बन वोट बैंक समाजll जमानती हैं एक मंच,निज कुनबों के साथ। सोच न बदली सल्तनत,मिले चोर के हाथll कहते हो हम हैं वतन,मिले साथ हो पाक। आतंक … Read more

अब भी बचा लो जिंदगी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… मैं हूँ धरा संसार का, मुझमें समाहित सकल निर्झर सरित् पर्वत सप्त सागर, महदारण्य सें हूँ परिपूरित जीवन दातृ पालक सम्पोषिका, धरित्री ऊर्वरा शस्य श्यामला निज आँचल में समेटे चराचर, हूँ अनंत गह्वर दीर्घतर हूँ शान्ति ममता करुणापूरित, देव दानव मनुज इतरेतर भूतगण … Read more

धर्मपत्नी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** जीवनसाथी आज जो,थी पहले अनज़ान। पली बढ़ी तरुणी बनी,तजी गेह अभिमान॥ एकाकी थी जिंदगी,सूना था संसार। मन ख्वाबों से था भरा,अपना हो परिवार॥ पढ़ी-लिखी हो रूपसी,शील त्याग मृदु भास। सुगृहिणी और संगिनी,प्रेम सरित आभास॥ बहुत जतन के बाद में,मिली सुकन्या एक। परिणीता वैदिक विधा,मिली संगिनी नेक॥ नववधू बन … Read more

अर्ध नारीश्वर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** तू नारी हम पुरुष, तू जीवन हम रूह तू जननी हम सर्जक, तू नव किसलय हम तरु तू श्रद्धा हम साधक, तू लज्जा हम वाहक तू ममता हम नायक, हम नौका तू पतवार तू करुणा हम साहस, तू कशिश हम अहसास, हम जीवन तू मुस्कान तू शक्ति हम … Read more

सागर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** मैं सागर हूँ महार्णव अति गह्वरित, धरा के आँचल में समेटे स्वयं को या यों समझ माँ की आबरू को ढँक तीनों दिशा दुर्दांतकों से अनवरत, हूँ मैं तोयनिधि संरक्षक जलधि प्रकृति चराचर जगत् पालक, देव-दानव-मानव जलचर सभी हेतु हूँ जलज का व्योम का, वड़वानल और करुणार्द्र साथ … Read more

होली समरस का त्यौहार

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** आया है खुशनुमा त्यौहार, द्वेष घृणा स्वार्थ विकार समन्वित धर्म जाति भाषा विभेद सभी का, होलिकाग्नि में होता है संहार। महाविजय का परिचायक, सौहार्द सौम्यता सौख्य मनोहर विविध रंगों से रंजित तन-मन, सुमित स्नेह मनभावन जीवन। तमसो मा ज्योतिर्गमय, इस वेदमन्त्र से हो आलोकित आया होली का त्यौहार। … Read more

बदलेगी दशा व दिशा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** स्वयं घर परिवार नहीं,निरामीष परिवेश। वतनपरस्ती में लगा,है प्रधान इस देश॥ वोट बैंक के जाल में,फँसा धर्म निरपेक्ष। एक धर्म की आड़ में,बँटा देश परिपेक्ष॥ कैसा ये गठजोड़ है,कौन सियासी चाल। आतंकी करता सबल,इच्छुक मालामाल॥ गाली दे दे एक को,न थकते हैं गाल। है प्रधान बस दृढ़ पथी,देश … Read more