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आतंक
गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** प्रार्थना में उठे हाथ, उड़ गये चीथड़े। दीवारों पे बिखरा रक्त, लोग इधर उधर पड़े मिले। चारों ओर सिर्फ चीखें, कौन मनाये ईस्टर। पूरा चर्च था खून से सना, कितना भयानक मंजर। एक के बाद एक, सिलसिलेवार विस्फोट। एक विशेष ही समुदाय, को पहुँचाई चोट। रोते बच्चे,बिखरी महिलाएं, अधमरे बुजुर्ग। … Read more