जुल्मी

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* हर युग में मिलते रहे जुल्मी,जिसने भी यहां राज किया।गया बाबर तो अंग्रजों ने,जम कर अत्याचार किया। कितने चढ़े सूली पर यहां,कितनों का खून हुआ होगा।तब भी जुल्मी नर पिशाचों का,कभी पेट नहीं भरा होगा। अब भी देखो चौराहों पर,क्या लाठी-डंडे चलते हैं।जिनके अंदर भाव जुल्मी,वो जुल्म हमेशा करते … Read more

प्यार की खुशबू

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* प्यार की खुशबू से माँ की,खुश हो जाता छोटा बच्चा…लपक कर छाती से उसकी,मजे से दूध पीता है बच्चा। सच्चा प्यार दिलों में हो तो,हर आँगन में फूल खिलेंगे…प्यार की खुशबू से वो सब,हर समय महकते रहेंगे। प्यार की खुशबू रिश्तों में घोलो,रिश्ते फिर से महक उठेंगे…वही घर स्वर्ग … Read more

रूप तुम्हारा

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* रूप तुम्हारा बल्ले बल्ले,आँख शराबी वाह-वाह जी।गालों पे जो तिल है तुम्हारे,वो हमें पुकारे वाह-वाह जी। गर्दन सुराहीदार तुम्हारी,होंठ गुलाबी पंखुड़ी जी।आँखों की भाषा से तुम्हारी,साँस हमारी उखड़ी-सी। जब नयनों से मुस्काती हो,हम दिल थामे रह जाते हैं।जब चाल चलो मतवाली तो,हम होश में कहाँ रह पाते हैं। गालों … Read more

मैं हरी दूब…

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* मैं हरी दूब इस माटी की, सदा हरी-भरी ही रहती हूँ। कितना कुचलो और दबाओ, फिर भी बढ़ती रहती हूँ। सीना ताने खड़े पेड़ जो, आँधी से गिर जाते हैं। गर्व है उनको ऊँचे हैं वो, इसीलिए ढह जाते हैं। आँधी आये या आये सुनामी, मैं शांत चित्त हो … Read more

फुर्सत

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* कहने को तो फ़ुर्सत में हैं, लेकिन मुझे तो फुर्सत नहीं। आज फ़ुर्सत को बैठाया कोने, तब मुझे फ़ुर्सत ये मिली। इतनी व्यस्त रहती हूँ घर में, साँस लेने की फुर्सत नहीं। कैसे होते होंगे वो जिन्हें, फुर्सत ही फुर्सत रही। सोचा था फ़ुर्सत में मैं, ऐसा कुछ रच … Read more

सपनों का घर

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* धरती पर तो सभी बनाते, अपने सपनों का सुंदर घर। आओ नील गगन में बनाएं, हम-तुम अपने सपनों का घर। जहाँ परिवार हमारा हो, बस प्यार ही प्यार हो। नील गगन में उड़ते रहने, का हमें अधिकार हो। वहां से जब भी नीचे देखें, जंगल और पहाड़ दिखें। धरती … Read more

दिल के तार बजते हैं..

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* जब से हुई है मुहब्बत उनसे, दिल के तार स्वयं बजते हैं। कभी है पायल की रुनझुन तो, कभी अरमान मचलते हैं। नयनों की चितवन से उनके, हम मन्द-मन्द मुस्काये हैं। रुख़सार पे लटकी जो लट है, सौ-सौ बल वो खाये हैं। स्वप्न सलोने साथ सजें तो, दिल के … Read more

फागुन के रंग

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* फ़ागुन के रंग में रंगा आसमां, धरती मुस्काए है चहुँऒर। रंगीं दिशाएं सभी यहां पर, ख़ुशी में नाचे मन का मोर। फ़ूल खिले हैं सभी डाल पर, बैंगनी,गुलाबी,पीले,लाल। ख़ुशी से दिल है उछला जाए, होली पे उड़ेगा अबीर,गुलाल। मनभावन फ़ागुन तो देखो, यहां मस्त बहार है लाता। हरी-भरी दिखे … Read more

नयन कजरारे

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* नयन कजरारे जाते-जाते कह गए दिल का हाल। इस दिल में हलचल मची है, चैन न आए अब दिन-रात। मृगनयनी है वो तो देखो, उसके नयन करें मदहोश। उन नयनों में डूब जाऊं मैं, अब रहे न अपना होश। कमल नयन हैं उनके यारों, मन्द-मन्द मुस्काएं वो। गहराई मैं … Read more

ऋतुराज हैं आए

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* ख़्वाबों में मेरे कल फिर, ऋतुराज बसन्त हैं आए। मेरे काँधे पे सिर को रख के, हौले से वो मुस्कुराए। कहने लगे वो `लोचन`, क्या हाल हैं तुम्हारे। आँखों में क्यों हैं आँसू, चलो साथ तुम हमारे। मैं कैद में यहां पर, जहां फूल हैं,न पाती। कैसे चलूं मैं … Read more