अच्छा अपना गाँव रे…

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ****************************************************************************** शहर की हलचल,भागदौड़ से, अच्छा अपना गाँव रे…। सुकूँ जहाँ मिलता है दिल को, प्यारा ऐसा ठाँव रे…। शहर की हलचल… कल-कल करती बहती नदियाँ, खेतों में हरियाली रहती। गाँवों में खुशियाँ होती है, मीठी धुन में कोयल में कहती। याद बहुत आती अब हमको, वो पीपल की छाँव … Read more