मँहगाई
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** मँहगाई की मार से, सारा जग बौराय। राशन आटा भाव तो, आसमान छू जाय॥ आसमान छू जाय, करे क्या समझ न आता। क्या होगा घर-द्वार, सोच मन है घबराता॥ कहे ‘विनायक राज’, देख दुनिया हरजाई। छोटा रख परिवार, नहीं होगी मँहगाई॥