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मँहगाई

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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मँहगाई की मार से,
सारा जग बौराय।
राशन आटा भाव तो,
आसमान छू जाय॥
आसमान छू जाय,
करे क्या समझ न आता।
क्या होगा घर-द्वार,
सोच मन है घबराता॥
कहे ‘विनायक राज’,
देख दुनिया हरजाई।
छोटा रख परिवार,
नहीं होगी मँहगाई॥

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