गरीबी है दुश्वारी
रीना गोयलयमुना नगर(हरियाणा)************************************************************* खींच रही है रोज जिंदगी,बोझ विवशता का अति भारी,पर मजबूरी मुझ अनाथ की,बनी गरीबी है दुश्वारी। बिछा हुआ अस्तित्व जमीं पर,ठोकर ही पल- पल मिलती है,मानवता मृतप्राय: हुई अब,निर्ममता दिन भर छलती है।पग-पग मन को शूल बेधते,फिर भी जीना सीख गया हूँ,हूँ गरीब का बालक मैं तो,दर्द निगलना सीख गया हूँ। बचपन … Read more