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ये जीवन इक रंगमंच

रीना गोयल
यमुना नगर(हरियाणा)
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ये जीवन इक रंग मंच है,अलग-अलग किरदार।
कठपुतली के खेल में हुए,हम सब हिस्सेदार।

कोई नराधम हुआ धरा पर,चलता कुत्सित राह।
ओर निभाये कोई मीत बन,डाल प्रीत की बाँह।
नानक सम है सतगुरु कोई,तो कोई घनश्याम।
भूमिकाएं सब निभा रहे हैं,क्या रहीम क्या राम।
अजब-गजब प्रस्तुतियां देकर,दिल छूते हर बार।
कठपुतली के खेल में हुए,हम सब हिस्सेदार…।

छिन्न-भिन्न मानवता को कर,वहशीपन का राज।
अस्मत बिछी बिसात-सी यहां,झपट रहे बन बाज।
रिश्तों के भी कहीं दायरे,खोने लगे हैं अर्थ।
मृत्यु गिरा देती है पर्दा,मानव जीवन व्यर्थ।
हम सब अपने पाप-पुण्य के,खुद ही जिम्मेदार।
कठपुतली के खेल में हुए,हम सब हिस्सेदार…।

सरस रूप एक सृष्टि का है,बदले ऋतुएं साल।
अम्बर,सागर,धरा मीत हैं,लहरों में करताल।
हरित प्रकृति का रंग सलौना,खग की मुग्ध उड़ान।
स्वर लहरी अधरों पर खेले,बजती बंसी तान।
इसी दृश्य को हृदय पटल,सदा करो साकार।
कठपुतली के खेल में हुए,हम सब हिस्सेदार…।

रंग-मंच सी दुनिया मेरी,गरल कभी रसदार।
कभी बरसते मेघ अमिय के,कभी मिले अंगार।
पर खुद के गम मनुज भूलकर,भरें हृदय में नूर।
अभिनय करो सजीव जो लगे,आशा से भरपूर।
अमिट छाप दे जाना दिल पर,याद करे संसार।
कठपुतली के खेल में हुए ,हम सब हिस्सेदार…॥

परिचय-रीना गोयल की जन्म तारीख १३ जनवरी १९७४ एवं जन्म स्थान-सहारनपुर है। वर्तमान में यमुना नगर (हरियाणा)में निवासरत रीना गोयल का स्थाई बसेरा जिला यमुना नगर ही है। हरियाणा राज्य की रीना गोयल ने स्नातक की शिक्षा पाई है। इनका कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। लेखन विधा-छन्द गीत और कविता है। कुछ सांझा संग्रह और विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में भी इनकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। रीना गोयल को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में काव्य शलाका प्रमुख है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-कलम से समाज में जागरूकता का प्रयास करना है।

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