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गरीबी है दुश्वारी

रीना गोयल
यमुना नगर(हरियाणा)
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खींच रही है रोज जिंदगी,बोझ विवशता का अति भारी,
पर मजबूरी मुझ अनाथ की,बनी गरीबी है दुश्वारी।

बिछा हुआ अस्तित्व जमीं पर,ठोकर ही पल- पल मिलती है,
मानवता मृतप्राय: हुई अब,निर्ममता दिन भर छलती है।
पग-पग मन को शूल बेधते,फिर भी जीना सीख गया हूँ,
हूँ गरीब का बालक मैं तो,दर्द निगलना सीख गया हूँ।

बचपन क्या था जान न पाया,गले पड़ी बस जिम्मेदारी,
पर मजबूरी मुझ अनाथ की,बनी गरीबी है दुश्वारी।

क्यों अभिशप्त हुई नैतिकता,दीन-धर्म की नीयत खोटी,
लोभ भरा आकंठ उदर तक,छीन रहे निर्धन की रोटी।
शिथिल हुए हैं प्राण भूख से,लहू चूसती है लाचारी,
पर मजबूरी मुझ अनाथ की,बनी गरीबी है दुश्वारी।

ननिहालों को श्रमिक बनाकर,महल दुमहले खड़े किए हैं,
छीन हाथ से पुस्तक-पोथी,बोझ सरों पर लाद दिए हैं ।
मुस्कानों को नोंच-नोंच कर,रुदन कराती दुनिया सारी,
पर मजबूरी मुझ अनाथ की,बनी गरीबी है दुश्वारी॥

परिचय-रीना गोयल की जन्म तारीख १३ जनवरी १९७४ एवं जन्म स्थान-सहारनपुर है। वर्तमान में यमुना नगर (हरियाणा)में निवासरत रीना गोयल का स्थाई बसेरा जिला यमुना नगर ही है। हरियाणा राज्य की रीना गोयल ने स्नातक की शिक्षा पाई है। इनका कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। लेखन विधा-छन्द गीत और कविता है। कुछ सांझा संग्रह और विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में भी इनकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। रीना गोयल को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में काव्य शलाका प्रमुख है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-कलम से समाज में जागरूकता का प्रयास करना है।

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