मानव की पहचान
डॉ.अर्चना दुबे मुम्बई (महाराष्ट्र) ************************************************************************** सेवा शिष्टाचार ही,मानव की पहचान। जन प्रत्येक इसीलिए,दिख रहे परेशानl दिख रहे परेशान,आचरण अच्छा रखना। किये नहीं सत्कार,कहेंगे कैसे अपना। रीत कहे यह बात,मिलेगा कैसे मेवा। अच्छे रखो विचार,करो तुम सबकी सेवाll पक्षी सब आजाद हैं,नभ के छूते छोर। दाना-पानी कर लिये,पंखों में है जोर। पंखों में है जोर,देखते सपने … Read more