उजियारे को तरस रहा हूँ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** उजियारे को तरस रहा हूँ,अँधियारे हरसाते हैं, अधरों से मुस्कानें गायब,आँसू भर-भर आते हैं। अपने सब अब दूर हो रहे, हर इक पथ पर भटक रहा। कोई भी अब नहीं है यहां, स्वारथ में जन अटक रहा। सच है बहरा,छल-फरेब है,झूठे बढ़ते जाते हैं, अधरों से मुस्कानें गायब,आँसू भर-भर … Read more

इंसान और क़ुदरत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. क़ुदरत से जुड़कर रहो,होगे सदा निरोग, क़ुदरत है कोमल बहुत,हर सुख सकते भोग। शुध्द हवा,हो सादगी,सादा हो व्यवहार, मिलती है नव ऊर्जा,हो रोगों की हार। प्रतिरोधक क्षमता बढ़े,हो क़ुदरत यदि मित्र, अंतर्मन में ताज़गी,जीवन बने पवित्र। क़ुदरत रक्षक है सदा,उसके रहो समीप, दमके सूरज … Read more

नववर्षाभिनंदन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** भारतीय नववर्ष-नवसंवत्सर विशेष,,,,,,,,,,, मस्तक पर खुशियों का चंदन, करें कर्म औ’श्रम का वंदन आशाओं को करें बलवती, कुंठाओं का रोकें क्रंदन… नवल वर्ष का है अभिनंदन। कटुताओं को याद करें ना, आँसू बनकर और झरें ना मायूसी का घड़ा रखा जो, उसको हम अब और भरें ना… करें वक्त … Read more

‘कोरोना’ से हम जीतेंगे

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** ‘कोरोना’ की हार आज तो अंकल जी, मानव की जयकार आज तो अंकल जी। घर में रहकर काम करो,क्राउड रोको, साहस का सत्कार आज तो अंकल जी। कोरोना को रोको,उस पर चढ़ बैठो, नित्य वार पर वार आज तो अंकल जी। मोदी जी ने कहा,वही हर दिन मानो, ख़ुद … Read more

पारिवारिक व सामाजिक मूल्य बोध का जीवंत दर्शन ‘रामचरित मानस’

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** “परिवार ही हमारे सामाजिक जीवन की आधारशिला है,जिसमें हमारे जन्म से लेकर मृत्यु तक सारी गतिविधियाँ संचालित होती हैं। हिन्दू परिवार का जीवन-दर्शन पुरूषार्थ पर आधारित है जो विश्व के अन्य समाजों के परिवारों का जीवन दर्शन नहीं है। अतः,परिवार मनुष्य के सभ्य और सुसंस्कृत होने का स्वाभाविक तारतम्य … Read more

नारी का देवत्व

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** नारी सच में धैर्य है,लिये त्याग का सार। प्रेम-नेह का दीप ले,हर लेती अँधियार॥ पीड़ा,ग़म में भी रखे,अधरों पर मुस्कान। इसीलिये तो नार है,आन,बान औ’ शान॥ नारी तो है श्रेष्ठ नित,हैं ऊँचे आयाम। इसीलिये उसको ‘शरद’,बारम्बार प्रणाम॥ नारी ने नर को जना,इसीलिये वह ख़ास। नारी पर भगवान भी,करता है … Read more

होली के रंगों में डूबी `काव्यांगन` की महफिल

मंडला(मध्यप्रदेश)l वॉट्सएप ग्रुप ‘काव्यांगन’ ने होली पर ऑनलाइन कवि-सम्मेलन किया। वरिष्ठ साहित्यकार जयप्रकाश पांडेय के मार्गदर्शन,डॉ. बृजेंद्र वैद्य के मुख्य आतिथ्य, लोकप्रिय कवयित्री डॉ. अंजना सिंह सेंगर की अध्यक्षता और प्रसिद्ध रचनाकार प्रो. शरद नारायण खरे के विशिष्ट आतिथ्य में मंच के चर्चित कवियों-कवियित्रियों ने शानदार काव्य-पाठ किया। संचालन वरिष्ठ कवि प्रदीप सेनगुप्ता ने किया। … Read more

मज़े लो होली में

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** ‘कोरोना’ की मार मज़े लो होली में, करे पड़ोसन प्यार मज़े लो होली में। सभी जगह है अफरा-तफरी मची हुई, हिंसा है हथियार मज़े लो होली में। सच्चाई से दूर रहो,तब ही जीवन, झूठ-कपट है सार मज़े लो होली में। रहो मूंछ नीचे करके तब खुशहाली, बीवी से है … Read more

होली

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** रंगों के सँग खेलती,एक नवल-सी आसl मन में पलने लग गया,फिर नेहिल विश्वासll लगे गुलाबी ठंड पर,आतपमय जज़्बातl प्रिये-मिलन के काल में,यादें सारी रातll कुंजन,क्यारिन खेलता,मोहक रूप बसंतl अनुरागी की बात क्या,तोड़ रहे तप संतll बौराया-सा लग रहा,देखो तो मधुमासl प्रीति-प्रणय के भाव का,है हर दिल में वासll अपनापन … Read more

झूठ हँस रहा आज

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** सच्चाई रोने लगी,झूठ हँस रहा आज। दर्पण में वह अक्स है,जैसा दिखे समाजll कानूनों को रोंदकर,आगे बढ़ता काल। शांति नहीं,हैं आजकल,रोज़ नये जंजालll बहकावे अस्तित्व में,सच विलुप्त है आज। निर्लज्जी इंसान को,किंचित भी ना लाजll बाहर सब कुछ स्वच्छ है,भीतर व्यापक मैल। कर मक्कारी भाग लो,पकड़ो पतली गैलll शंका … Read more