कुल पृष्ठ दर्शन : 168

You are currently viewing इंसान और क़ुदरत

इंसान और क़ुदरत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

***********************************************************************

प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष……..


क़ुदरत से जुड़कर रहो,होगे सदा निरोग,
क़ुदरत है कोमल बहुत,हर सुख सकते भोग।

शुध्द हवा,हो सादगी,सादा हो व्यवहार,
मिलती है नव ऊर्जा,हो रोगों की हार।

प्रतिरोधक क्षमता बढ़े,हो क़ुदरत यदि मित्र,
अंतर्मन में ताज़गी,जीवन बने पवित्र।

क़ुदरत रक्षक है सदा,उसके रहो समीप,
दमके सूरज नित्य ही,जलता जीवन-दीप।

जो क़ुदरत से दूर हों,आफ़त लें वे मोल,
नीर,भोज सब प्रकृतिमय,तो जीवन अनमोल।

क्षमताएं तन की बढ़ें,बढ़ जाता आवेग,
मीत बने क़ुदरत अगर,मिले हर्ष का नेग।

हरियाली,उद्यान सब,हैं क़ुदरत के रूप,
तारे,चंदा,नदी-तट,सुखमय सूरज-धूप।

हाथ जोड़ मिलना भला,यही प्राकृतिक भाव,
हल्दी रोगों से लड़े,रक्खो सतत् स्वभाव।

पदचालन,योगा भला,नियमित प्राणायाम,
मानव रहता स्वास्थ्यमय,पाये सुख आयाम।

बर्तन तांबे के भले,नित्य करो उपयोग,
पीतल में भी सार है,बने लाभ का योग।

क़ुदरत तो इक संस्था,जो पढ़वाती पाठ,
यदि इसका सम्मान हो,तो जीवन में ठाठ।

क़ुदरत से हम दूर थे,इसीलिये यह मार,
‘कोरोना’ ने आ पहुंच,किया देश पर वार।

घबरायें ना हम ‘शरद’,मिलकर हो संघर्ष,
क़ुदरत तब देगी हमें,खुशियां,व्यापक हर्ष॥

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैl आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैl एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंl करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंl साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंl  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

Leave a Reply