माते अब मंगल कर दे

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* हे मातु भवानी,हे जगकल्याणी, महर तुम्हारी माँ आँचल भर दे। हे जन्मदात्री,हे सुखदायिनी, तू है माते अब मंगल कर दे। विद्या विवेक शक्ति…

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दुआ है देवी माँ

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* दुआ का जी आप असर देखिए, मानव जीवन यारा तब देखिए। माता के हृदय की दुआ देखिए, गर्भ में पालती किस कदर देखिए।…

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गौरव है हमारी हिंदी

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. भाषा अनुपम सदा लगे मोहनी, कहते सब गौरव है हमारी हिंदीl लहू में घुली धमनियों में बहती, संपर्क की…

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ख़ुशी

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* ख़ुशी होती है चुलबुली, तितली-सी होती सही कभी वो फूल-कभी वो डाली, अभी है अभी जो उड़ी। भावनाओं से रहती है जुड़ी, ख़ुशी…

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बस ऐसी अमर कहानी हो

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ********************************************************** कर्म जीवन ऐसा नूरानी हो, शिक्षा उचित मार्ग सत्य हो कर्तव्य समझ जो सयाना हो, बस ऐसी अमर कहानी हो। दु:ख के पलड़े…

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कृष्णा तुम विश्वास आस

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. प्रभु कृष्ण मुरारी हे किए अदभुत न्यारी, कंस असुरों से अति पीड़ित थे जब जन-जन व्याकुल माँ धरणी ने…

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‘सुषमा’ की आभा

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* हँसते-मुस्कुराते हुए ही स्वत: बंधन मुक्त किया स्वयं को, लगता मानो कहीं थी प्रतीक्षा अलौकिक में विलीन होने को। नहीं अनभिज्ञ अपने क्षणों…

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कलम आज उनकी जय बोल

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. प्राण हाथों मे लेकर थे वो रहते, निडर दुश्मन से भिड़ जो जाते रक्षा थल वायु जल में…

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बरसती फुहारें

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* सखी रे रिमझिम बरसती फुहारें, कान्हा आए,चल भीगें हम सारेl भली लगती बरसती फुहारें, तनमन में उल्लास जगाती, धरती की तृष्णा बुझाती, पत्ते-पत्ते…

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पहली बार मिले थे…

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* जैसे पहली बार मिले थे,वैसे ही तुम मिला कराे, जैसे पुष्प बगिया में,वैसे ही तुम खिला कराे। हर आँसू मुस्कान बने,सुख-वैभव का विस्तार…

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