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कृष्णा तुम विश्वास आस

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….


प्रभु कृष्ण मुरारी हे किए अदभुत न्यारी,
कंस असुरों से अति पीड़ित थे जब जन-जन
व्याकुल माँ धरणी ने गौ रूप में किया पुकार,
मानव जीव-जंतु के हरने दु:ख औ संतापl

कारागर में माता देवकी ने कीन्ही विनती
प्रभु तुम रक्षक हो सबके भक्त भय हारी,
दिये दर्शन हरि पीतांबर चतुर्भुज अनुपम
आयूंगा बन पुत्र तुम्हारे ही देवकी मातेl

भाद्र मास कृष्ण पक्ष रोहिणी नक्षत्र पुनर्वसु
लीला प्रभु की धरे शिशु अनुपम मनोहर रूप,
मायावीत होय सोये जग मथुरा कारागार प्रहरी
वासुदेव की टूटी बेड़ियाँ खुल गये सब तालेl

रक्षा करन नव शिशु वासुदेव हृदय आंदोलित
उठाय सूप में मोहन बालक चले यमुना नदी तीरे,
उतरे यमुना में,ले जाऊँ नन्द यशोदा गोकुल गाँव
घनघोर मेघ गरजे बरसन लागे तड़के थे बिजुरी़l

दौड़त आए शेषनाग फन से प्रभु छतर बनावत
उमड़ी यमुना पटरानी छुने को प्रभु चरणनन,
खींचे पैर शिशु लीला यमुना को ललचावत
निंद्रित यशोदा राजा नंद गोकुल गाँव सुहावतl

योगमाया कन्या रूप प्रतीक्षा में थी जागत
प्रभु आदेश अनुपम है जाने थे वासुदेव,
नन्हें कान्हा को सुलाया यशोदा के दाँए अंग
उठाया कन्या को शांत करे हृदय संयमl

लौट चले कारागार पुन: देवकी के स्वामी
माया टूटी बँध गई बेड़ियाँ बिसरे सब-कुछ,
जगे प्रहरी जब सुनी नव शिशु के क्रंदन,
मार ना पाया योगमाया को असुर कंसl

ऐसो अदभुत किये प्रभु जन्माष्टमी की लीला
जागी माँ यशोदा हर्षित मुस्काये सुखद नंदराज,
साँवली म़ोहनी छवि शिशु नैन नाही झुकावत
गोकुल अनंत उल्लास ढोलक मृदंग थे बाजतl

युवक-युवती बूढ़े बच्चे प्रभु जन्म आनंद मनावे
देव-देवियाँ अप्सराएं प्रभु स्तुति लागे करने,
उल्लसित मुनीजन,संत गुरू वंदन थे गावत
हर्षित वन वृक्ष पौधे झूमें पुष्प डालियाँ खिलेl

प्रकृति कर श्रृंगार जनमन सुख लुभावत
पशु-पंछी जनजन जी ठुमकी खुब लगावत,
तुम्हरे जन्म रूप गुण महिमा कैसे करूं कान्हा
हृदय में रहते हो बन के तुम तो प्राण आत्माl

अदभुत लीला करते राधा के कृष्णा मनमोहन
माता यशोदा के लल्ला माखन चोर कहावत,
नटखट कान्हा करे खेल गोप गोपियाँ वारी
बाँसुरी बजावत मोहित करते गैया चरावतl

प्रेम रंग में रंगते जी कान्हा संसार जन-जन
गोपियों राधा संग करते रास हँसे वृंदावन,
सभी कलाओं के स्वामी मोहित करते हो जग
दानव दैत्यों को दिए प्रभु सद्गति करते उद्धारl

पूतना मारें कालिका विषधर पर तुम नाचे
भाँति-भाँति के थे कन्हैया क्रीड़ा दिखावत,
उठा लिए ऊँगली पे जन रक्षा करन को पर्वत
कंस बध कर जन-मन मातु-पिता सुख दायेl

विरह ज्वाला में जलते स्वयं कभी हो अश्रु बहाते
द्रौपदी चीर हरण लज्जा राखत सखा नारी सम्मान,
पांडव कठिन जीवन को मिला बल विश्वास
बने सारथी तुम मधुसुदन अर्जुन सखा स्वामीl

विश्व रूप अर्जुन दिखाये धर्म-कर्म ज्ञान उत्तम संदेश
अमर सदा प्रभु जी है युद्ध भूमि का गीता उपदेश,
हे योगेश्वर कृष्णा जनम लिए तुम हरने को क्लेश
धर्म की विजय हुई भारत अखंड ध्वज लहरायाl

तुमसा सखा सारथी जीवन में जो मानव पाये
भक्ति रस में डूबे हैं जनमन नित शीश झुकावे,
गिरधर गोपाला मीरा रानी विष पीये अमृत होये
हर रूप में तुम करते प्रेम स्नेह कर्म सम्मोहितl

आ रहे हो नटखट कान्हा,नन्द के लाल गोपाला
यशाेदा मईया के आँखाें का हो तारा कान्हा,
राधा के दिल की धड़कन गोपियों का दुलारा
युग-युगान्तर से तुम्हारे प्रेम रस से रसे जग साराl

आओ कृष्णा मनमाेहना,गिरिधर गोपाल मुरारी
आओ तुम बन खुशी हर हृदय सुख-शांति प्यारी,
छेड़ाे मधुर धुन,आतुर हम सुनने तुम्हरी बाॅंसुरी
कैसे करूं दीन मैं प्रभु तुम्हारेी पूजा गुणगानl

आशीष देना हस्त सबके शीश सद्बुद्धि सदभाव
हरे कृष्णा तुम्हीं राधेकृष्णा हो तुम हो विश्वास,
तुममें है सबकी तृष्णा,तुम ही सबके प्रिय आश!
हरे कृष्णा हे राधेकृष्णा,हो सबके तुम कृष्ण गिरधारीll

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

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