दिल में है ख़ुदा तो राम भी है

शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’लखनऊ (उत्तरप्रदेश)************************************** मेरी ग़ज़लों में नया आयाम भी है,इनके जरिए प्यार का पैग़ाम भी है। खो चुके हैं देख लो हम इस जहां में,ढूंढना खुद को हमारा काम भी है। मैं गिरफ़्तारे मुहब्बत हो गई हूँ,प्यार का सर पर मेरे इल्ज़ाम भी है। अम्न के यूँ तो पुजारी सब हैं लेकिन,जिस तरफ़ भी … Read more

अंतर्मन का प्रेम श्रृंगार

तनु सिंहनैनीताल(उत्तराखंड)**************************** काव्य संग्रह हम और तुम से आज फुर्सत के कुछ लम्हें मिले हैं,क्यों ना सोलह श्रृंगार कर लूँखुद को थोड़ा सज-सँवार लूँ।इन उलझी लटों को सुलझा कर,आज फिर गजरे से महका लूँ।क्यों ना सुरमयी अँखियों से,आज मैं प्रेम की बारिश कर लूँ।चन्द्र-सी बिंदी माथे पर सजाकर,आज पुष्प कुंदन कर्ण में पहन लूँ।इन सूनी … Read more

मैं तुम्हें फिर मिलूँगी

सुनीता सिंहपश्चिम बंगाल******************************* काव्य संग्रह हम और तुम से मैं तुम्हें फिर मिलूँगी,जब तुम कहीं उदास बैठे होंगेया फिर खुशियों में रमे होंगे,तुम्हे हँसता देख इतराऊंगीमैं तुम्हें फिर मिलूँगी। घास पे पड़ी बूंद की तरह,जो तुम्हारे स्पर्श सेकहीं विलीन हो जाएगी,मैं तुम्हें फिर मिलूँगी। जब तुम सुबह-सुबह अंगड़ाई लोगे,ठंडी-ठंडी सिहरन बन मैं आऊंगीखिड़की से झाँकती … Read more

हिंदी हमारी पहचान

पुष्पा सिंहकटक(ओडिशा)********************************************** हिंदी सबकी पहचान बने,आओ मिलकर इसका सम्मान करें।यह केवल भाषा नहीं,हृदय का है भाव,ऋषि-मनीषियों से हुआ है इसका आविर्भाव।इसमें संस्कृति हंँसती है,भारत की आत्मा बसती हैनित्य नई कलियाँ खिलती हैज्यों किरणें प्रभात से मिलती है।आज ना इसे पहचानोगे,कल सिर धुन पछताओगे।बच्चे रह जाएँगे संस्कृतिविहीन,हो जाएगी सभ्यता मिट्टी में लीन।समय अभी न बीता है,नहीं … Read more

आँखें न पढ़ सके तुम

सोमा सिंह ‘विशेष’गाजियाबाद(उत्तरप्रदेश)******************************** काव्य संग्रह हम और तुम से आँखें न पढ़ सके तुम,जज्बात क्या पढ़ोगे। न तुमको कभी दिखा है,मेरे दिल का वो खाली कोना। तुमसे छुपा लिया था,मन का अधीर होना। मेरी हसरतों में तुम हो,मैं तुमसे कैसे कह दूँ। मेरे हमनवा बनो तो,लहरों में तेरी बह दूँ। मेरा इश्क़ अब वो शै … Read more

मौसमी मार

विनय कुमार सिंह ‘विनम्र’ चन्दौली(उत्तरप्रदेश)***************************** जनवरी में जाड़े का अहसास देखो,अंगीठी है किसके जरा पास देखोशरीरों पे कपड़ों का मेला सजा है,खूंटी पे देखो बस हैंगर टंगा है। गरीबों को देखो निवाला नहीं है,महल गाडियां क्या दोशाला नहीं हैआंतों में सूखे से दाने खड़े हैं,सर्दी के कारण ठिकाने पड़े हैं। राखों पे काली-सी कुतिया पड़ी है,बस … Read more

नासमझ था दिल मेरा

शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’लखनऊ (उत्तरप्रदेश)************************************************* नासमझ था दिल मेरा ये उनसे जा टकराया था,उनके गलियों में जाने कौन-सा मज़ा आया थाl भटकते-फिरते उनके तलाश में जो यूं दर-बदर,और शाम होते दर्द-ए-आलम दिल पे छाया थाl नशे में मदहोश हुए गुम हुआ ये सारा ज़माना,उनके आँखों का जाम जो आँखों से चढ़ाया थाl ढूंढती रही मैं जो … Read more

संस्कृति

शिवनाथ सिंहलखनऊ(उत्तर प्रदेश)**************************************** इस समय निशा बहुत बेचैन थी। अंकुर और उसका घर निशा की आँखों के सामने घूम रहे थे। निशा ने अपनी अलमारी से काली जीन्स के साथ ही एक सुंदर-सा टॉप निकाला और तैयार होने लगी। बायेंं कंधे पर स्ट्रोल डालकर जब आइने के सामने खड़ी हुई तो मुस्कराए बगैर न रह … Read more

कैसे संभालूँ खुद को

अमृता सिंहइंदौर (मध्यप्रदेश)************************************************ काव्य संग्रह हम और तुम से….. मन मेरा…जैसे सूर्य की तपिश।स्पर्श तेरा…जैसे बरखा की नमी। गुफ़्तगू तेरी-मेरी,मिट्टी की जैसे सौंधी खुशबू।तेरा होना मुझसे रूबरू…अकल्पनीय अदभुत…जुगनू। कैसे सँभालूँ खुद को,तुझमें खो जाने से…।रोक ना पाऊँ खुद को,तेरा हो जाने से। दीदार तेरा है ऐसा,दर्पण से अक्स जैसा।रहूं साथ जब तेरे…रोम-रोम है महके। बातें … Read more

कैसे बीता साल

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* कैसे बीता साल पुराना मत पूछो,बैठे-बैठे खाल खुजाना मत पूछो। माह जनवरी बीता उसके स्वागत में,और फरवरी का घट रीता दावत मेंदेख कोरोना मार्च महीना घबराया,कर्फ्यू से वीरान हुई भारत कायाअप्रैल में फिर थाल बजाना मत पूछोlकैसे बीता साल पुराना मत पूछो… मई महीने में भी दहसत छाई थी,कितने मजदूरों ने … Read more