जिंदगी की तलाश में…
सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* जिंदगी ही निकल पड़ी है, अब जिंदगी की तलाश में। ये कहां-कहां भटकी है देखो, फिर बदली है लाश में। पक्षी के झुण्ड रोज उड़ते, जिंदगी की तलाश में। रोज बदलें ठौर अपना, एक जिंदगी की आस में। जिंदगी की डोर यूँ ही, टूट कर बिखरती रही। रिश्तों के … Read more