बंधन
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************************* कैसे बंधन हैं यही,कैसे कैसे जाल।बाँधे कोई प्रेम से,नफरत कोई पाल॥ इक हो बंधन क्रोध पे,गुस्सा खाये आप।जले क्रोध करते समय, खुद पर कर ना पाप॥ निज मन की सुनते सभी,सबकी सुनते संत।साधु शब्द जाने नहीं,फिरते बने महंत॥ बनो संत कर दिल बड़े,मधुवाणी गल घन्त।दाढ़ी कितनो बढ़ लियो,दु:ख की होत न अंत॥ बाँधो … Read more