उत्तराधिकारी
डॉ.स्वाति तिवारी भोपाल(मध्यप्रदेश) ********************************************************** ”मरने के बाद कितना निर्विकार लगता है चेहरा ?” ”एकदम निर्मल पानी की तरह स्वच्छ। लगता है बस अभी उठेंगे और आवाज लगाएंगे-समर…l” जिज्जी की निर्मल आत्मा अपने भाई के निर्विकार चेहरे को पढ़ रही थी। ”हाँ,प्राणविहीन चेहरे निर्विकार ही होते हैं! विकार तो सारे जीवित अवस्था में ही फलते-फूलते हैं।” … Read more