बांसुरी
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचना शिल्प:८८८७ वर्ण,क्रमश:प्रति चरण,४ चरण- समतुकांत। मधुर मुस्कान लिये,अधरों में तान लिये,बाँसुरी बजाय रहे,राधा को निहारे हैं। ग्वाल-बाल सखा सभी,गोपियाँ भी आयी तभी,मुरली की तान सुन,नाच रहे सारे हैं। मोहन बंसी की धुन,मंत्रमुग्ध सभी सुन,आई कब राधा वहाँ,सभी ये बिचारे हैं। श्याम संग खड़ी राधा,बीच नहीं कोई बाधा,प्रेम का मिलन यह,देख … Read more