जै श्री कृष्ण

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)*********************************************** कृष्ण धूप,कृष्ण छाँव,कृष्ण फूल,पात हैं।कृष्ण श्वाँस,कृष्ण नैन,कृष्ण मनुज गात हैं॥ कृष्ण भोर,कृष्ण शाम,कृष्ण भानु,इंदु हैं।कृष्ण व्योम,कृष्ण धरा,कृष्ण जगत बिंदु हैं॥ कृष्ण सखा,कृष्ण भ्रात,कृष्ण मातु,तात हैं।कृष्ण नीर,कृष्ण क्षीर,कृष्ण मधुर वात हैं॥ कृष्ण सरी,कृष्ण सिंधु,कृष्ण सरी तीर हैं।कृष्ण हास,कृष्ण रास,कृष्ण नैन नीर हैं॥ कृष्ण गीत,कृष्ण रीत,कृष्ण नाद,घोष हैं।कृष्ण भूख,कृष्ण तीस,कृष्ण पूर्ण तोष हैं॥ परिचय-डॉ.विद्यासागर … Read more

मैं भारत का बच्चा

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** शब्जी हरी-हरी खाता हूँ,   दूध गाय का पीता हूँ। करता हूँ मैं योग भोर में, पढ़ता निशिदिन गीता हूँ॥      गउ,गंगा,गायत्री,गीता,  माँ हैं वेद बताते हैं। बसते हैं प्रभु राम सभी में, ऋषिजन यही सुनाते हैं॥    पत्थर में शंकर देखूं मैं, वट में देखूं देवों को। मातु-पिता की … Read more

कैसा मानव अधिकार

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** पुलिस सिपाही चुप रहें, कैसा भारत यार। पत्थरबाजी हो गया, मानव का अधिकार॥ अरे सिपाही की यहां, सुनता कौन‌ पुकार। पत्थरबाजों के लिये, बने सभी अधिकार॥ मेरे भारत देश का, कैसे हो श्रृंगार। पत्थरबाजों को मिले , यहाँ अलौकिक प्यार॥ घायल सैनिक हो रहे, नजर न आते यार। नेता पत्थरबाज … Read more

वसुधा को आह

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** ऐ सावन क्या कर दिया, ऐसा तूने राड़। बहा रही है जिन्दगी, भू पर चढ़ती बाढ़॥ सावन नित देने लगा, वसुधा को यूँ आह। पानी,पानी हो रहा, नहीं नीर की थाह॥ नीरद अब विनती सुनो, मंद करो कुछ चाल। मनुज कष्ट हैं सह रहे, वसुधा हुई निढाल॥ नीरद तुमने भर … Read more

चाँद नहीं है दूर

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** भारत जग का भाल है, जग का है प्रधान। भारत की गति देखकर, आज रहा जग मान॥ मेरे भारत के लिये, चाँद नहीं है दूर। करते हैं कहते नहीं, खट्टे हैं अंगूर॥ गया उपग्रह चाँद में, दुनिया है हैरान। कैसे भारत गा रहा, सदा विजय के गान॥ देखो बच्चों है … Read more

माँ…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** माँ पर लिखने में सागर-सी, हो मसि भी कम पड़ जायेगी। एक नहीं सौ-सौ जीवन भी, यह ममता क्या लिख पायेगीll जिस माँ के चरणों में सारे, सुर निशिदिन शीश झुकाते हैं। जिस माँ के आँचल की महिमा, ऋषि-मुनिजन भी नित गाते हैंll माँ के उपकारों का वर्णन, रसना भी … Read more

चुनाव

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** देखैं किसके सिर सजे, मोर मुकुट का पांख। कौन चले शेरों तरह, कौन दबाता आँख॥ लूटा है जिसने बहुत, पाकर के सरकार। वह नेता ही कह रहे, हम हैं पालनहार॥ अपने-अपने राग हैं, अपने-अपने दाँव। वो गाँव की बात करैं, नहिं देखा जो गाँव॥ जो महलों ने हैं जने, पाई … Read more

उड़ान…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** भौतिक जग में कब हुई, सुख से ही पहिचान। मन मेरा भरता रहा, नित-नित नवल उड़ान॥ मन रे थोड़ा रुक जरा, अपने को पहिचान। काहे को भरता सदा, इत-उत नवल उड़ान॥ आज देश को मिल गई, एक नई पहिचान। युवा मनों की हो रही, सपनों भरी उड़ान॥ दुर्बल तन नित … Read more

आँचल

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** रिपुता का चलता नहीं, उस पर कोई दाँव। माँ जिसके सिर पर करे, नित आँचल की छाँव॥ हो आँचल की रोशनी, बिन बाती बिन तेल। कवि के उर से फूटती, नव रचना की बेल॥ माँ देना आँचल सदा, मिले सदा ही जीत। नई कलम से मैं लिखूं, नये-नवेले गीत॥ माँ … Read more