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कैसा मानव अधिकार

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’
पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)
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पुलिस सिपाही चुप रहें,
कैसा भारत यार।
पत्थरबाजी हो गया,
मानव का अधिकार॥

अरे सिपाही की यहां,
सुनता कौन‌ पुकार।
पत्थरबाजों के लिये,
बने सभी अधिकार॥

मेरे भारत देश का,
कैसे हो श्रृंगार।
पत्थरबाजों को मिले ,
यहाँ अलौकिक प्यार॥

घायल सैनिक हो रहे,
नजर न आते यार।
नेता पत्थरबाज को,
देते हैं पुचकार॥

पत्थरबाजों के सगे,
मानव के अधिकार।
वीर सिपाही को सदा,
मिलती जाती हार॥

पत्थरबाजों के लिये,
मरने को तैयार।
ढूँढ-ढूँढ कर लायेंगे,
मानव के अधिकार॥

अरे सिपाही जान लो,
तुमको देंगे मार।
मौन रहेंगे नित यहाँ,
मानव‌ के अधिकार॥

नजर लगी है देश को ,
नजर उतारो यार।
पत्थरबाजों से करें ,
कई यहांँ क्यूँ प्यार॥

मौन हो गये देश के,
मानव‌ के अधिकार।
पुलिस-सिपाही खा रहे,
बीच सड़क पर मार॥

मौन कहाँ हो तुम पड़े,
कहाँ छिपे हो यार।
बीच सड़क दफना रहे,
मानव के अधिकार॥

रसना में ताले पड़े,
बंद कर दिये कान।
मानव अधिकारी छिपे,
मेरा देश महान॥

परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर है। जन्म तारीख २४ अप्रैल १९६६ और जन्म स्थान-ग्राम सतगढ़ है। वर्तमान और स्थाई पता-जिला पिथौरागढ़ है। हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले उत्तराखण्ड राज्य के वासी डॉ.कापड़ी की शिक्षा-स्नातक(पशु चिकित्सा विज्ञान)और कार्य क्षेत्र-पिथौरागढ़ (मुख्य पशु चिकित्साधिकारी)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत पर्वतीय क्षेत्र से पलायन करते युवाओं को पशुपालन से जोड़ना और उत्तरांचल का उत्थान करना,पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं के समाधान तलाशना तथा वृक्षारोपण की ओर जागरूक करना है। आपकी लेखन विधा-गीत,दोहे है। काव्य संग्रह ‘शिलादूत‘ का विमोचन हो चुका है। सागर की लेखनी का उद्देश्य-मन के भाव से स्वयं लेखनी को स्फूर्त कर शब्द उकेरना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-सुमित्रानन्दन पंत एवं महादेवी वर्मा तो प्रेरणा पुंज-जन्मदाता माँ श्रीमती भागीरथी देवी हैं। आपकी विशेषज्ञता-गीत एवं दोहा लेखन है।

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