धो डालो जन्मे कलंक को

वन्दना शर्मा’वृन्दा’ अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** हैदराबाद घटना-विशेष रचना………….. आह,छि!धिक्कार है ऐसी मर्दानगी पर,क्या अब इस आर्य भूमि पर जवानी माँस के लोथड़ों को नोंचने के लिए आती है ? कब तक! आखिर कब तक ये प्रियंकाएँ हवस का शिकार होती रहेंगी,और तुम अंधी,बहरी,गूंगी सत्ता और कानून से न्याय माँग रहे हो! तुम उन नपुंसकों से … Read more

मौन अभी रहना होगा

वन्दना शर्मा’वृन्दा’ अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** मचल रहे तूफान कई, पर मौन अभी रहना होगा। सुनकर सबकी बात नुकीली, मुस्कान अधर गहना होगा। अथक,अडिग,अबाध गति से, प्रवाह हीन बहना होगा। मचने दे नीरव प्रलय को, विकल निशा जगना होगा। अभी नहीं ऋतु अनुकूल, हाथ पर सरसों नहीं उगा करती। सुअवसर आने दे ‘वृन्दा’, काँपेगा अम्बर-धरती। तब … Read more

किसान

वन्दना शर्मा अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** प्रथम नमन तुमको हे हलधर। हरित किया तुमने ही भूधर। ब्रह्म सरिस तुम भूख मिटाते। ऊसर रज श्रृंगार सजाते। गाय बैल सब सखा निराले। दूध दही से भरते प्याले। बल और बुद्धि शुद्ध बनाते। बादल के तम्बू तन जाते। स्वेद रक्त से बन जब निकले। धरा हरित सोना तब उगले। … Read more

किताब जिंदगी की

वन्दना शर्मा अजमेर (राजस्थान) *********************************************************************** जिंदगी की इस किताब को पढ़ रही हूँ नित्य मैं, पर न अक्षर एक भी मेरी समझ में आ रहा, खो गयी पन्नों में मैं तो ढूँढ न पायी कभीl दे दी कितनी ही परीक्षा आज तक अनुत्तीर्ण हूँ, न मिला कोई गुरु जो सीख इसकी दे मुझे, समझ भी … Read more