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धो डालो जन्मे कलंक को

वन्दना शर्मा’वृन्दा’
अजमेर (राजस्थान)

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हैदराबाद घटना-विशेष रचना…………..
आह,छि!धिक्कार है ऐसी मर्दानगी पर,क्या अब इस आर्य भूमि पर जवानी माँस के लोथड़ों को नोंचने के लिए आती है ? कब तक! आखिर कब तक ये प्रियंकाएँ हवस का शिकार होती रहेंगी,और तुम अंधी,बहरी,गूंगी सत्ता और कानून से न्याय माँग रहे हो! तुम उन नपुंसकों से गुहार लगा रहे हो।
आह्वान करती हूँ उस नारी शक्ति का,आह्वान करती हूँ उन माँओं का, जिनकी कोख से कलंक जन्मे हैं,याद करो उस प्रसूति पीड़ा को,जो तुमने इन वहशियों को जन्म देते समय झेली थी। उससे भी कहीं ज्यादा पीड़ा हुई होगी प्रियंका को,उससे भी हजारों गुना अधिक हड्डियाँ चरमराई होंगी,उसकी आत्मा तड़पी होगी। अरे धिक्कार है ऐसे पुत्र जन्म पर,धिक्कार है तुम्हारी परवरिश पर। तुम्हारी छोटी-सी गलती आज महाविनाशक बन गयी। अगर अभी भी सुधारना चाहती हो अपनी भूल को,तो पूरी ताकत से उठाओ खड्ग और भरी सभा में काट दो उनका सिर। धो दो अपने ही हाथों अपनी कोख के कलंक,अंग विच्छेद कर दो। ‘प्रियंका’ ही नहीं,हर बेटी को कर दो ‘निर्भया।’ आओ…आओ,जुटाओ पूरी ताकत आज सड़क,चौराहे,गली,मोहल्ले,घर,दफ्तर में लुटी-पिटी हर चीख का प्रतिशोध तुम्हें लेना होगा।सुधारना होगा तुम्हें अपनी गलती को। मिटाना होगा तुम्हें ममता पर लगे कलंक को। अरे,ऐसी माँ होने से अच्छी होता,तुम बाँझ रही होती। आओ…आओ,खड्ग उठाओ। हर बेटी को न्याय दिलाओ।
तुम्हें आज ये पहल करनी होगी,ताकि कोई बेटा किसी नारी को कमजोर समझने की भूल न कर सके,जिससे कोई भी पुरुष नारी की तरफ कुदृष्टि डालने से पूर्व भीतर तक दहल जाये। आओ,अपना शक्ति रूप दिखलाओ। सिर्फ तुम ही उन बेटियों का प्रतिशोध ले सकती हो।आज तुम्हारे ही बेटों ने तुम्हारे ही जिस्म को नोंचा है। क्या फर्क पड़ता है कि उस शरीर में चेहरा तुम्हारा नहीं था,इसलिए कृपाण उठाओ और चीर डालो उन दरिंदों को अपने हाथों। एक नया कानून गढ़ो,एक नया प्रतिमान बनाओ,तभी चीरहरण थमेगा।

परिचय-वंदना शर्मा की जन्म तारीख १ मई १९८६ और जन्म स्थान-गंडाला(बहरोड़,अलवर)हैl वर्तमान में आप पाली में रहती हैंl स्थाई पता-अजमेर का हैl राजस्थान के अजमेर से सम्बन्ध रखने वाली वंदना शर्मा की शिक्षा-हिंदी में स्नातकोत्तर और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी के लिए प्रयासरत होना हैl लेखन विधा-मुक्त छंद कविता हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य- स्वान्तःसुखाय तथा लोकहित हैl जीवन में प्रेरणा पुंज-गुरुजी हैंl वंदना जी की रुचि-लेखन एवं अध्यापन में है|

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