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मौन अभी रहना होगा

वन्दना शर्मा’वृन्दा’
अजमेर (राजस्थान)

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मचल रहे तूफान कई,
पर मौन अभी रहना होगा।
सुनकर सबकी बात नुकीली,
मुस्कान अधर गहना होगा।
अथक,अडिग,अबाध गति से,
प्रवाह हीन बहना होगा।
मचने दे नीरव प्रलय को,
विकल निशा जगना होगा।

अभी नहीं ऋतु अनुकूल,
हाथ पर सरसों नहीं उगा करती।
सुअवसर आने दे ‘वृन्दा’,
काँपेगा अम्बर-धरती।
तब तक दृढ़ आराधन लेकर,
मौन साधना हूँ करती।
उठा बवंडर,बरसा अमृत,
भरी गोद भू की परती।

तेरे यश गौरव का अब तो,
गीत सुनाते हैं झरने।
कल तक जो थे शूल चुभोते,
लगे रसिक मिट्टठू बनने।
है तुममें सामर्थ्य अनोखा,
अम्बर चीर दिखायेगी।
चुन-चुन करके चटक सितारे,
अदभुत साड़ी सजायेगी॥

परिचय-वंदना शर्मा की जन्म तारीख १ मई १९८६ और जन्म स्थान-गंडाला(बहरोड़,अलवर)हैl वर्तमान में आप पाली में रहती हैंl स्थाई पता-अजमेर का हैl राजस्थान के अजमेर से सम्बन्ध रखने वाली वंदना शर्मा की शिक्षा-हिंदी में स्नातकोत्तर और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी के लिए प्रयासरत होना हैl लेखन विधा-मुक्त छंद कविता हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य- स्वान्तःसुखाय तथा लोकहित हैl जीवन में प्रेरणा पुंज-गुरुजी हैंl वंदना जी की रुचि-लेखन एवं अध्यापन में है|

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