कोकिल के स्वर-सी…
विश्वम्भर पाण्डेय ‘व्यग्र पाण्डे’गंगापुर सिटी(राजस्थान)******************************************************* अपनी तो सुबह हिन्दी से,सांझ भी हिन्दी में ढलती हैकदम-कदम हर डगर,हिन्दी के ही संग चलती है। स्वप्न हिन्दी हिन्दी जाग्रत,हिन्दी निर्गम हिन्दी आगतहिन्दी से हर प्रहर पावन,श्वांसें हिन्दी ही जपती हैं। हिन्दी में हास-परिहास,हिन्दी दे हमको सुवासकोकिल के स्वर-सी हिन्दी,मधुर कण्ठों से निकलती है। प्रभाव इसका फैल रहा है,इसका … Read more