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कोकिल के स्वर-सी…

विश्वम्भर पाण्डेय  ‘व्यग्र पाण्डे’
गंगापुर सिटी(राजस्थान)
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अपनी तो सुबह हिन्दी से,
सांझ भी हिन्दी में ढलती है
कदम-कदम हर डगर,
हिन्दी के ही संग चलती है।

स्वप्न हिन्दी हिन्दी जाग्रत,
हिन्दी निर्गम हिन्दी आगत
हिन्दी से हर प्रहर पावन,
श्वांसें हिन्दी ही जपती हैं।

हिन्दी में हास-परिहास,
हिन्दी दे हमको सुवास
कोकिल के स्वर-सी हिन्दी,
मधुर कण्ठों से निकलती है।

प्रभाव इसका फैल रहा है,
इसका सबसे मेल रहा है।
छत्रछाया हिन्दी की में,
कितनी भाषाएँ पलती हैं॥

परिचय:विश्वम्भर पाण्डेय का उपनाम व्यग्र पाण्डे हैL जन्म तारीख-१ जनवरी १९६५ और जन्म स्थान-गंगापुर सिटी हैL स्थाई पता गंगापुर सिटी में हैL राज्य राजस्थान के श्री पांडे का कार्यक्षेत्र-शिक्षा विभाग हैL इनकी लेखन विधा-ग़ज़ल,गीत,कविता,लघुकथा आदि हैL आपको हिंदी का भाषा ज्ञान हैL प्रकाशन में-`कौन कहता है`(काव्य-संग्रह)तथा `पाण्डे जी कहिन`(काव्य-संग्रह) आपके नाम हैL कई सामाजिक व साहित्यिक सम्मान आपको मिल चुके हैं। लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक विसंगतियों पर लिखना हैL प्रेरणा पुंज-पंत व निराला हैL रुचि-साहित्य लेखन हैL

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