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अब के पाठ पढ़ाना है…

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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भारत और चीन के रिश्ते स्पर्धा विशेष……

भारत और चीन के रिश्ते नहीं सुधरने वाले हैं,
अबकी आर-पार कर देंगे हम सैनिक मतवाले हैं।

नहीं समझ में आता इसको अब ढंग से समझाना है,
कब तक चीनी विष घोलेंगे अब के पाठ पढ़ाना है।

दुनिया ने समझाया इसको इसे समझ नहीं आना है,
राज करूँगा इस दुनिया पर इसने मन में ठाना है।

ए भारत के शेरों इसको अब के सबक सिखाना है,
कब तक चीनी विष घोलेंगे अब तो पाठ पढ़ाना है।

यह चीनी अजदहा देख लो आगे बढ़ता जाता है,
कितनी हठधर्मी से भारत की भूमि हथियाता है।

अब के चीनी ड्रैगन को उसकी औकात दिखाना है,
कब तक चीनी विष घोलेंगे अब के पाठ पढ़ाना है।

खाली थोथी बातों से ही कैसे मजा चखाओगे,
इतने बेटे मरवाए हैं कितने और मरवाओगे।

हम कमजोर नहीं किसी से दुनिया को दिखलाना है,
कब तक चीनी विष घोलेंगे अब के पाठ पढ़ाना है।

ये बासठ के बाद देख लो छुरी पीठ में भोंक रहा,
भारत की बर्बादी को सैनिक सीमांत पर झोंक रहा।

शांति और सद्भाव का रिश्ता इसको नहीं निभाना है,
कब तक चीनी विष घोलेंगे अब के पाठ पढ़ाना है।

बासठ में हम हारे थे पर अब तो नया जमाना है,
इस चीनी हमलावर को क्यों हमको सहते जाना है।

नहीं मानता ये शठ है अब लातों से समझाना है।
कब तक चीनी विष घोलेंगे अब के पाठ पढ़ाना है।

अब तो भारत को ये चीनी खुल्ली धमकी देता है,
नहीं समझ में आता भारत हल्के में क्यों लेता है।

शांति की बातें भी करता वो एक महज बहाना है,
कब तक चीनी विष घोलेंगे अब के पाठ पढ़ाना है।

दो तरफा की मार झेलती भारत की जनता सारी,
इक सीमा की तनातनी और उस पर फैली बीमारी।

जितना हो रिश्ते बिगाड़ दो यह इसका पैमाना है,
कब तक चीनी विष घोलेंगे अब के पाठ पढ़ाना है॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है।

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