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खतरा है गद्दारों से

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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मंदिर से न मस्जिद से,
गिरिजा घर न गुरूद्वारों से।
खतरा तो है हमें साथियों,
छिपे हुए गद्दारों से।

अपने बन कर अपनों ने,
अपनो पर रंग जमाया है।
अपना लहू बगावत करने,
चौराहे पर आया है।
अपने घर के दीपक ने,
अपना आशिया जलाया है।
घात लगाकर के अपनों ने,
अपनों को मरवाया है।
आस्तीन के साँपों से,
बचना मतलब के यारों से।
खतरा तो है हमें साथियों,
छिपे हुए गद्दारों से…॥

सत्ता के बंदीखाने में,
क्रांति और आदर्श बंद हैं।
शब्दों की तुम्बा फेरी में,
जन-गण-मन के बोल बंद हैं।
बादल से भी खून बरसता,
आहट से भी दहशत होती।
आस्था से आतंक झलकता,
राष्ट्र भावना आहत होती।
बच के रहना दोस्त मेरे,
जननी के सौदागरों से।
खतरा तो है हमें साथियों,
छिपे हुए गद्दारों से…॥

वोट बैंक के लिए प्रशिक्षण,
डाकू,कातिल,गुंडों का।
केवट,शबरी के घर में,
होता नर्तन,नर मुंडों का।
ताप स्वदेशी शीतल पड़ता,
लाल बुझक्कड़ चहक रहा।
निष्ठा है किरकिरी आँख की,
गम का आलम चमक रहा।
सम्हल के रहना मित्र मेरे,
मजहब के ठेकेदारों से।
खतरा तो है हमें साथियों,
छिपे हुए गद्दारों से…॥

मदिरालय में भीड़-भाड़ है,
मूर्खों का सम्मान हुआ।
धर्म-ध्वजा की होली जलती,
तरुणाई का क्षरण हुआ।
माता,बहनें,बहू बिलखती,
पिता,पुत्र गम से पीड़ित।
युवक बहक कर कोठे पहुंचा,
पति,पत्नी दोनों शंकित।
बदरंगे आडंबर से,
मक्कारों से,हत्यारों से।
खतरा तो है हमें साथियों,
छिपे हुए गद्दारों से…॥

फंसी हुई है मानवता,
फिर से आतंकी पंजों मे।
स्वाभिमान है व्यस्त देश का,
जोड़-तोड़ के धंधों में।
यौवन भटका,पस्त हुआ है,
दवा रात-दिन भोगों से।
तन-मन,अंतःकरण,चित्त भी,
ग्रस्त अनेक रोगों से।
मुक्ति दिलानी है जनता को,
भीषण अत्याचारों से।
खतरा तो है हमें साथियों,
छिपे हुए गद्दारों से…॥

काली करतूतों की कालिख,
पोती सबने चेहरे पर।
भ्रष्ट आचरण ही हावी है,
ऊंच-नीच हर मोहरे पर।
पाखंडी जनसेवक बनकर,
छान रहे कैसी मस्ती।
सब्ज बाग का रंग दिखाकर,
रंग डाली सारी बस्ती।
मुल्क बचाना है अपना,
इन जहरीली बौछारों से।
खतरा तो है हमें साथियों,
छिपे हुए गद्दारों से॥

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।