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ललाट का चंद्र श्रृंगार

तृप्ति तोमर `तृष्णा`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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हिन्दी की बिन्दी..

हिंदी है शंकर के ललाट का चंद्र श्रृंगार,
मानो खुले है बैकुंठ धाम में स्वर्णिम द्वार।

नारी के समस्त सोलह श्रृंगार-सी सुसज्जित है हिंदी में बिंदी,
सोलह श्रृंगार में अलोलिक, अद्भुत रुप में शोभित है हिंदी में बिंदी।

भाषाओं में स्वर्णीय स्थान लिए चमक रही हिंदी,
हाथों में कंगन के संगीत-सी खनकती हिंदी।

मधुर गुंजन, रमणीय स्वर है हिंदी का,
है ना किसी और भाषा का सुर हिंदी-सा।

चंद्रमा से अनेक, सुर, रूप हिंदी के,
होता जैसे अनेक पंछियों का कलरव हिंदी के॥

परिचय–तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं। यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि १६ नवम्बर एवं जन्म स्थान-विदिशा (मप्र) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। पीजीडीसीए व एम. ए. शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। यह अधिकतर कविता लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। कुछ स्पर्धा में प्रथम भी आ चुकी हैं।

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