अनूप कुमार श्रीवास्तव
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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वेदना की मुंडेरों पर,
दर्द बांसुरी-सा बजाता है
एक नया विश्वास रोज़,
नई जिंदगी को सजाता है।
चौखट पर राधा कहीं,
सांवरे को बुलाती है
कान्हा-सी जिंदगी,
मुदित हुई जाती है।
विश्वास है बाती,
दिया भी है साथी
जिसमें है रौशनी,
सब जगमगाता है।
गहराएं अंधेरे,
आएं बहुत चुपके से
पलकों की कोरों में,
अश्रु कोई बहाता है।
फिर भी ये मन,
निराश नहीं होता
सत्य मेरे अंतर का,
विश्वास-सा दिलाता है।
वेदना की मुंडेरों पर,
दर्द बांसुरी-सा बजाता है।
एक नया विश्वास रोज़,
नई जिंदगी को सजाता है॥