कुल पृष्ठ दर्शन : 472

You are currently viewing सकल जगत की शान

सकल जगत की शान

आशा आजाद
कोरबा (छत्तीसगढ़)

**********************************************************************

प्रेमचंद जी को नमन,सकल जगत की शान।
अनुपम सभी कहानियाँ,देते सुंदर ज्ञानll

उपन्यास में सार है,सुंदर नव संदेश।
अंतर मन भी तृप्त हो,पढ़कर मिटता क्लेशll

अनुपम सारी पटकथा,सुंदर सारे पात्र।
अनुपम सभी निबंध जो,पढ़ते अब भी छात्रll

नेक विचारक देश के,कहता सकल समाज।
तोड़ो सभी कुरीतियाँ,यही रहा आगाजll

नेक कहानी प्रेरणा,रचा `पूस की रात।`
ऐसा लगता पात्र सब,सुंदर करते बातll

`कर्मभूमि` औ `निर्मला`,उपन्यास अनमोल।
`रंगभूमि गोदान` में,भाव भरे हर बोलll

विधवा विवाह पथ चलो,त्यागो छूआछूत।
तोड़ो दहेज की प्रथा,सच्चा बनो सपूतll

नाटक सुंदर सृष्टि है,और रचा संग्राम।
अदबे अकबर को लिखा,हिंदुस्तान के नामll

इक्तिफाक ताकत रचा,लेख सृजन अनमोल।
ज्ञान सार सुंदर गढ़ा,पढ़ मन जाता डोलll

सैलानी बंदर रचा,बाल कहानी भाय।
पागल हाथी मस्त है,पढ़ बच्चे मुस्कायll 

परिचयआशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”

Leave a Reply