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खत श्याम के नाम

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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लिखा है खत तुझे मैंने श्याम तेरे नाम से,
लेकर जाना हे हवाओं कहना श्याम से।
कब तक मैं लुटती रहूंगी,कब तक दु:ख सहती रहूंगी,
दहेज चलन की अग्नि में कब तक मैं जलती रहूंगी।
आकर जान बचा लो श्याम,
विनती मेरी सुन लो श्याम…॥

सासरे में भी मारी जाती,गर्भ में भी मारी जाती,
नारी ही क्यों बनाया तूने,दु:ख-दर्द पर बिठाया तूने।
जब नारी धरती पर आई,लिए दु:ख की पेटी आई,
बढ़ रहा है भ्रष्टाचार,अब सह ना सकूंगी अत्याचार।
हे हवाओं,कहना श्याम को,
मिटा दे नारी जाति के नाम को…॥

मायके में भी पिता-भाई की पाबंदी,सासरे में भी पाबंदी,
कहो श्याम मैं कहां रहूंगी,कैसे खुशियों का झूला
झूलूंगी।
आकर राह दिखा दे श्याम,
जीने का पथ बता दे श्याम।
इसलिए,
लिखा है खत तुझे मैंने श्याम तेरे नाम से,
जाकर कहना हे हवाओं मेरे प्यारे श्याम से…॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।