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व्योम के बादल

मनोरमा जोशी ‘मनु’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश) 
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व्योम के बादल बहा ले,
नीर तू
देख धरती रो रही है…।
रो रही सारी दिशाएँ,
ज्वार सागर में उठा है
रो रही जग की हवाएँ…।
व्योम के बादल बटा
ले पीर तू…॥

रो रहे पाषाण जिन पर,
खेलते निर्झर बहे हैं
रात-दिन सरवर रहे हैं…
व्योम के बादल हटा ले,
नीर तू…॥

रो रहा मेरा हृदय है,
रो रहे हैं नैन मेरे
जल रही ज्वाला विरह की,
जल रहे सुख-चैन मेरे।
व्योम के बादल बंधा दे,
धीर तू…,
व्योम के बादल बहा ले,
नीर तू…॥

परिचय–श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।

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