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मातृभूमि का सपूत

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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देशभक्ति का अथाह सागर भर रखा था अपने सीने में
मातृभूमि ही केवल लक्ष्य था उनका ये जीवन जीने में,
वीर,कौशल,अभिमानी,प्रताप को शत-शत नमन-
कुछ अलग खास-सी बात है,इस मेवाड़ के नगीने में।

एकलिंग ने दिया आशीर्वाद हल्दी घाटी मुस्कुराई थी
देखा जब इस सपूत का गौरव,इनके लहू के बहने में,
दुश्मन तो नाम सुनकर ही,कंपकंपाने लग जाते थे-
अकबर की घबराहट दिखी थी उसके सर के पसीने में।

हजारों वीरों की टोली,लाखों की सेना से भिड़ती थी
प्रताप का जो जोश गूँजता,हर-हर महादेव कहने में,
उन्नत ललाट,विशाल कंधे,अदभुत थी वो कद-काठी-
भाला,शिरस्त्राण,कवच ही होते थे प्रताप के गहने में।

चेतक की वो बेमिसाल,महान,मूक स्वामी भक्ति थी
राणा प्रताप के संग याद करें,उसकी गाथा कहने में,
युगों और बरसों में भी,वर्णित नहीं होगी ये गाथाएं-
इन वीरों का तो सम्मान है,हर पल इनको भजने में।

हर माँ की अभिलाषा है,उसे प्रताप-सा पुत्र जन्म हो
ईश्वर से आराधना में भी और आँखों के भी सपने मेंl
प्रताप एक भविष्य है,नहीं इतिहास केवल पढ़ने में-

शब्द भी अमर हो जाते हैं,गौरव की रौ में बहने मेंll

परिचय-संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी  विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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