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कविता की आत्मा है रस

‘नवधा’ रस पर लगाई महती कार्यशाला………….
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)।

राष्ट्रीय अर्णव साहित्यिक कलम की सुगंध छंदशाला पटल पर २ मई २०२० को मुख्य संचालिका अनिता मंदिलवार ‘सपना’ द्वारा नवधा रस पर कार्यशाला आयोजित की गई। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य में रस विशेषज्ञ संजय कौशिक ‘विज्ञात’ और सुशीला जोशी ‘विधोत्मा’ के मार्गदर्शन में यह आयोजन हुआ। कार्यशाला में संजय कौशिक ‘विज्ञात’ ने कहा कि रस कविता की आत्मा होती है,जो कविता में आनंद की अनुभूति होती है,वह रस से ही होती है।
इस कार्यशाला की शुरूआत में माँ वीणापाणि के सम्मुख दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण वीरेन्द्र सिंह चौहान,संजय कौशिक और सुशीला जोशी द्वारा किया गया। सरस्वती वंदना की प्रस्तुति अनिता रानी भारद्वाज अर्णव द्वारा सुमधुर गायन से की गई।
कविता में रस का स्थान,प्रकार,कविता में कुछ खास रस ही लिखे जाते हैं,सभी क्यों नहीं,आलंबन और उद्दीपन का रस में महत्व,विरोधी रस,भयानक और वीभत्स रस में क्या अंतर,किस रस को किस रस के साथ मिलाने पर रचना में निखार आएगा, काव्य रस में मुहावरों और कहावतों का प्रयोग,रस निष्पति,भाव,विभाव,अनुभाव क्या है,विज्ञात छंद में रस का प्रयोग जैसे कई प्रश्नों और शंकाओं का निराकरण रस विशेषज्ञ संजय कौशिक और सुशीला जोशी द्वारा किया गया।
इस कार्यशाला में चमेली कुर्रे,मीता अग्रवाल,धनेश्वरी देवांगन धरा,बोधन राम निषाद राज,अभिलाषा चौहान,सिद्धेश्वरी शराफ,मीना भट्ट,सुनील कुमार, आरती श्रीवास्तव,वेदकांति रात्रे,इन्द्राणी साहू साँची, गीता द्विवेदी,बाबूलाल शर्मा ‘विज्ञ’,आशा पांडेय व सुकमोती चौहान सहित १६० साहित्यकारों ने सक्रिय उपस्थिति दी।
सभी को कार्यशाला बहुत अच्छी लगी। सबने कहा कि ऐसे आयोजन हमेशा होते रहने चाहिए। संचालन नीतू ठाकुर ‘विदुषी’ ने किया।

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