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राष्ट्रहित में सम्मान करना चाहिए कानून का

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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मुद्दा ‘नागरिकता संशोधन कानून’……….
नागरिक कानून हम सब देशवासियों के लिए,नागरिकों के लिए सुरक्षा कवच है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वह अपने देश की सबसे बड़ी हानि कर रहे हैं। जो इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं,वह अपने देश का नुकसान ही कर रहे हैं,क्योंकि हम राष्ट्र से बने हैं,राष्ट्र हमसे नहीं। हम होंगे या ना होंगे, राष्ट्र तभी भी रहेगा। हमें राष्ट्र हित में नागरिकता कानून का सम्मान करना चाहिए और अपनी दूषित भावनाओं पर नियंत्रण कर परमार्थ के कार्य में सहयोग देना चाहिए,क्योंकि जो भी कार्य राष्ट्रहित में होता है,वह परमार्थ ही है। अपनी आतंकवादी प्रवृत्ति का त्याग करो,और अपने राष्ट्र की हानि को अपने दूषित मन की दुर्भावना से रोक कर मानवता का संहार होने से बचा कर महामानव की श्रेणी में अपना नाम अंकित करने का भरसक प्रयत्न करना चाहिए।
अब सवाल उठता है कि,आख़िर इस क़ानून में क्या है,जिसे लेकर विवाद इतना बढ़ गया है। इस क़ानून के मुताबिक़ पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू,जैन,बौद्ध,सिख,पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। यह कानून हमें जाति,धर्म,समुदाय से ऊपर उठकर भारतमाता की गोद में बिठा रहा है। इसके प्रति हमारी दूषित भावनाएं नहीं होनी चाहिए। सबको भारतमाता के हित में सदभावना रखनी होगी।
सच्चा नागरिक वही होता है,जो अपने विवेक को लुप्त नहीं होने देता। वह अपने देश की भलाई के लिए त्याग करता है,देश का नुकसान नहीं। जापान जैसे देश से हमें बहुत बड़ी प्रेरणा मिलती है,जो हर पल-हर क्षण अपने देश की सरकारी और गैर सरकारी वस्तुओं की अपनी जान से भी ज्यादा हिफाजत करते हैं। भारत जैसे राष्ट्र में जन्म लेने का गौरव हमें मिला,लेकिन इसकी हिफाजत करने की बजाय हम इसको नष्ट करके अपने-आपको दाँव पर लगा रहे हैं। जापान में हर नागरिक को अल्प आयु से ही राष्ट्र के प्रति सदभावना के जल से सींच कर बड़ा किया जाता है। नागासाकी-हिरोशिमा में परमाणु बम की इतनी बड़ी त्रासदी होने पर भी वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी को चुनौती मानकर स्वीकार करते हुए अपनी मेहनत व सच्ची लगन से यही भविष्यवाणी जापानियों ने गलत साबित कर दी थी। कुछ वर्षों बाद वह उस त्रासदी से उबर कर पुन: एक विकसित राष्ट्र बन कर दुनिया के सामने खड़ा हो गया है। वह सच्चे नागरिक होने की भूमिका को सच्चे हृदय से निभाते हैं।
भारतमाता को विश्वगुरू का गौरव फिर से प्राप्त हो,तो हम भारतवासियों को कर्तव्यनिष्ठ बन कर सच्चे नागरिक की भूमिका अदा करना चाहिए।

परिचय–सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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