कुल पृष्ठ दर्शन : 330

You are currently viewing वृक्ष लगाओ

वृक्ष लगाओ

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

**********************************************************************

(रचना शिल्प:८+८+६=२२ चरणांत-१ १ २)

वृक्ष लगाओ,हरी भरी हो,ये वसुधा।
नीर बचाओ,निर्बाध बहे,ये सरिता॥
चिड़िया बोले,डाली डाली,पिक चहके।
लदे हुए हों,वृक्ष फूल फल,से लहके॥

होय नीर सरिता में निर्मल,पवन बहे।
उड़े नील अम्बर में खग भय,हीन रहे॥
प्रकृति सौंदर्य,सबका मन आकृष्ट करे।
होय प्रदूषण,मुक्त धरा भी,सुख बिखरे॥

पेड़ों से ही,मिलते फल अरु,फूल हमे।
हम रहे सभी,स्वस्थअरु शांत,इस मन में॥
मिलती स्वच्छ बयारऔर जल,हम सबको।
वर्षा लाते,हैं तरु राहत,दे हमको॥

पास प्रकृति के,रहे हमारी,सोच सभी।
न कोई दु:ख हो,प्रतिकूल ना,प्रकृति कभी॥
रखें प्रदूषण मुक्त लगाए,वृक्ष सभी।
प्रकृति का व्यर्थ,ना दोहन करें हम कभी॥

पेड़ लगाएं,जल पवन सभी,शुद्ध रहे।
ताप ना बढ़े,धरा का प्रकृति,कोप सहे॥
समय अभी भी,है सुधर जाएं हम सभी।
प्रकृति के कहर,से बच पाएंगे न कभी॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

Leave a Reply