कुल पृष्ठ दर्शन : 460

You are currently viewing वीर योद्धा महाराणा प्रताप

वीर योद्धा महाराणा प्रताप

दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’
दौसा(राजस्थान)
*****************************************

दशो दिशाएं गूँज उठी थी,
जब वो रण में आया था।
देख उसकी प्रचण्ड ज्वाला,
दुश्मन भी घबराया था॥

खनक उठी मेवाड़ की भूमि,
रक्त रंजित शमशीरों से।
गाथा यही सुनी है हमने,
मुर्शिद और फकीरों से॥

मार्तण्ड-सा तेज चमकता,
वो एक प्रचण्ड ज्वाला था।
अकबर भी जिससे घबराया,
वो वीर महाराणा था॥

जब वो रण में आता था,
मानो आती थी आंधी।
अकबर काँपा था दिल्ली का,
भयभीत थे सुर संवादी॥

भाला जब उठाया मान पर,
राणा सिंह-सी गर्जन था।
राणा ने मान के मान का,
जब किया मान-मर्दन था॥

अरे जब मान का मान गिरा,
यदा मान भी मान गया।
जाकर छुपा होदें में मान,
प्रताप को पहचान गया॥

गूंज रही थी टाप चेतक की,
हल्दी घाटी के रण में।
बहादुरी जिसकी देखी थी,
मेवाड़ी भू के कण में॥

छब्बीस फिट नाले को फांद,
वो साहस दिखलाया था।
बरछी तीर व तलवारों से,
वीर नहीं घबराया था॥

Leave a Reply