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सतर्क भारत,समृद्ध भारत

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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किसी भी राष्ट्र के निर्माण में प्रमुख महत्व वहाँ के लोगों के उत्साह एवं निष्ठा का ही होता है। राष्ट्र के लोग जब आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ अपने किसी लक्ष्य की ओर चल निकलते हैं,उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए समुचित साधनों,तकनीकों और व्यवस्थाओं आदि का सर्जन सहज ही करते चले जाते हैं। पूरी दुनिया में जागृत और सतर्क भारत,विश्व की परिस्थिति को समझने और इस परिस्थिति में अपनी राष्ट्रीय अस्मिता को प्रतिष्ठापित करने और आवश्यक उद्यम करने में,हमारी कोई बराबरी नहीं है।
दरअसल,दुनिया के समृद्ध,शक्तिशाली और शिक्षित देशों के मुकाबले भारत के गरीब, कमजोर और अशिक्षित लोगों ने भी जिस तरह से ‘कोरोना’ महामारी के खिलाफ जंग लड़ी है और अभी भी लड़ रहे हैं,बीते दिनों में भारत ने बहुत उम्मीदें जगाई है। अब हम सांस्कृतिक गरिमा के अनुरूप विश्व में अपना श्रेष्ठ स्थान बनाने,अपनी स्वतंत्र दिशा स्थापित करने की दिशा में,तेजी से बढ़ सकते हैं। हम किसी का अनुकरण करने के बजाय,अनुकरणीय हो सकते हैं। यहाँ तक कि अंतरराष्ट्रीय हाट-बाजारों से उठने वाली विभिन्न झंझावतों के समक्ष ना झुकते हुए,जीवन स्तर सुधार सकते हैं।
आज जब विश्व के अधिकांश देश अपनी-अपनी स्वतंत्र दिशाओं में चल निकले हैं,तब हम इस कुंठापूर्ण स्थिति में डूबे नहीं रह सकते हैं। हमें अपनी सांस्कृतिक अस्मिता के स्वरूप और आज के विश्व में अपनी परिस्थिति को स्पष्टता से समझ कर,अपनी विशिष्ट भारतीय दिशा और अपने विशिष्ट भारतीय लक्ष्य का वरण करना होगा और उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पुनः राष्ट्रव्यापी आत्मविश्वास एवं दृढ़ संकल्प जागृत करना होगा।
भारत का इतिहास,यहाँ की संस्‍कृति और सभ्‍यता,बहुत प्राचीन है। इसकी यही प्राचीन संस्‍कृति व सभ्‍यता,वैचारिक उन्‍नतिशीलता व संवेदनशीलता तथा आध्‍यात्मिक पवित्रता व निर्मलता इसे समृद्ध बनाती है। वसुधैव कुटुंबकम् की परम्परा वाले हमारे देश ने पूरी पृथ्‍वी को एक परिवार के रूप में समझा और सदा ही पूरी दुनिया की भलाई का पक्षधर रहा,इसीलिए भारत को शांति दूत भी कहा गया है। यही वैश्विक पारिवारिकता की भावना भारत की आत्‍मा है,जिसे बनाए रखने के लिए भारत कृत-संकल्‍प है। भारत की भौतिक समृद्धि उसकी जलवायु,हरी-भरी उपजाऊ जमीन,जंगल,पहाड़ और यहाँ के खनिजों से है। यहाँ की ऋतुएं और यहाँ के किसान धरती से सोना उपजाते हैंl हमारे अन्‍न भंडार हमेशा भरे रहते हैं। विश्‍व में किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा में हमारा देश हमेशा से लोगों की मदद करता आ रहा है। पर्यावरण संरक्षण,स्‍वच्‍छता,
स्‍वास्‍थ्‍य और आध्‍यात्मिकता,वैज्ञानिक पद्धति से खेती की ओर पूरी निष्‍ठा और सतर्कता से नित नए बढ़ते कदम,इसे कृषि जनित नई ऊँचाइयों की ओर ले जा रहे हैं। कई सौ सालों तक गुलाम रहने के बावजूद भारत देश आज भी मजबूत और शक्तिशाली है। दुनिया में सर्वाधिक युवा शक्ति वाले हमारे देश के जांबाज सैनिकों की शूर वीरता के चलते हमारी सीमाएं सदा सुरक्षित हैं। अपनी सीमाओं की सुरक्षा के प्रति विशेष सतर्कता के चलते हमारी सेनाएं आज अत्‍याधुनिक उपकरणों, मिसाइलों,लड़ाकू जहाजों,विमानों, पनडुब्बियों से सुसज्जित हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत की सामरिक शक्ति कई गुना बढ़ गई है।
कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी तक थल सेना,नौसेना और वायुसेना हर मोर्चे पर हमारी सीमाओं की अनवरत रक्षा कर रही है,तभी तो हम अपने घरों में चैन से सोते हैं। यही नहीं,हमारे पड़ोसी दुश्‍मन देश भी हमारी ओर गलत नजर डालने से पहले कई बार सोचते हैं। कूटनीति और विदेश नीति में भारत आज अव्‍वल है।
हर आम व्‍यक्ति की सुख-सुविधा को लेकर भी भारत पूरी तरह से सतर्क है,मुस्तैद है। गाँव को शहर से और शहर को महानगरों से जल,थल,वायु मार्गों से जोड़ने का बेजोड़ काम किया जा रहा है,इससे ग्रामीण,दूर-दराज व आदिवासी सभी क्षेत्रों में सबका साथ और सबका विकास प्रबल हो रहा है। गरीबों,श्रमिकों,किसानों,हर तबके के पास सूचना-प्रौद्योगिकी की पहुँच से,उनको सक्षम बनाने के लिए बनाई गई समूची योजनाएं सुविधापूर्वक,आसानी से व सार्थकतापूर्वक लागू हुई हैं,जिससे आत्‍मनिर्भरता बढ़ी है। ज्ञान-विज्ञान,पर्यावरण,सुरक्षा आदि सभी क्षेत्रों में समय रहते सतर्कता के चलते सशक्‍त ,सम्पन्‍न व समृद्ध भारत की परिकल्‍पना साकार हो रही है।

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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