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हमें जाँ से प्यारा हमारा वतन

प्रिया सिंह
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)

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हमें जाँ से प्यारा हमारा वतन है,
इसी पे तो कुरबां मेरा जानों तन है।

लहू दे के भारत को जिसने बचाया,
निछावर अब उनपे मेरा तन-बदन है।

न आये कभी तुझपे कोई मुसीबत,
इसी के लिए सर पे बांधा कफन है।

यहाँ भाई-भाई हैं हिन्दू मुसलमाँ,
सभी दुश्मनों को इसी की जलन है।

जो कुर्बान अब तक हुए हैं वतन पे,
उन सारे शहीदों को मेरा नमन हैll

परिचय-प्रिया सिंह का बसेरा उत्तरप्रदेश के लखनऊ में है। २ जून १९९६ को लखनऊ में जन्मी एवं वर्तमान-स्थाई पता भी यही है। हिंदी भाषा जानने वाली प्रिया सिंह ने लखनऊ से ही कला में स्नातक किया है। इनका कार्यक्षेत्र-नौकरी(निजी)है। लेखन विधा-ग़ज़ल तथ कविता है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जन-जन को जागरूक करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा को मानने वाली प्रिया सिंह देश के लिए हिंदी भाषा को आवश्यक मानती हैं।

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