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हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं में वेबिनार की क्या दरकार ? अपना शब्द क्यों न अपनाएँ

डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’

मुम्बई(महाराष्ट्र)
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कोरोना के संक्रमण काल में अचानक अनेक इलैक्ट्रॉनिक माध्यमों द्वारा संगोष्ठियों का आयोजन किया जाने लगा है और अंग्रेजी की तर्ज पर इन संगोष्ठियों को हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में भी वेबिनार कहा जाने लगा है। अगर अभी नहीं जागे,तो वेबिनार हमारे संगोष्ठी शब्द को भी ले बैठेगा। इसलिए अब यह जरूरी है कि हम चर्चा-परिचर्चा के माध्यम आम राय से एक शब्द निर्धारित करते हुए उसका प्रयोग करना प्रारंभ करें। विद्वानों ने वेब-संगोष्ठी,ई-संगोष्ठी तथा दूरगोष्ठी सहित कई पर्याय सुझाए हैं।
मेरा सुझाव है कि अंग्रेजी के शब्द वेबिनार के बजाय यदि हम भारतीय भाषाओं में प्रयोग के लिए ई-संगोष्ठी शब्द अपनाएँ तो यह शब्द सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न वर्तमान और भावी माध्यमों यथा-वेबसाइट,फेसबुक,ई-मेल समूह, व्हाट्सएप आदि सभी के लिए उपयुक्त होगा। अंग्रेजी से आया इलेक्ट्रॉनिक शब्द तो हिंदी में स्वीकृति पा चुका है। यदि इस शब्द को स्वीकार कर लिया जाता है तो इसी रूप में ऐसे अन्य शब्द भी प्रयोग में लाए जा सकेंगे। ई-संगोष्ठी,ई-कार्यशाला,ई-परिचर्चा,ई-व्याख्यान, ई-कक्षा,ई-बैठक,ई-परिचर्चा,ई-शिक्षण,ई-प्रशिक्षण सामग्री,ई-साहित्य, ई-कवि सम्मेलन आदि का भी प्रयोग कर सकेंगे।

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