डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)
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मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष….

‘चिंकी जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाओ। आज बहुत देर हो गई है। सालभर का त्योहार है। मुझे भी आज ही लेट होना था। सारा काम मालकिन को अकेले ही करना पड़ रहा होगा।’
‘अरे माँ ! चल तो रही हूँ। मेरे छोटे-छोटे से पैर,तो कदम भी छोटे ही होंगे।’
‘हाँ-हाँ,ठीक है। छोटे ही कदम से चलो। बातों मे तुम से कोई जीत नहीं सकता।’
‘माँ आज जल्दी क्यों जाना था ?’
‘चिंकी,आज मकर संक्रांति है। मालकिन के घर पूजा रहती है। पूजा में बहुत रिश्तेदार आते हैं। सभी के लिए प्रसाद और भोजन आदि की तैयारियाँ करनी होती है।’
‘अच्छा,माँ मालकिन हमें क्यों नहीं बुलाती पूजा में ? हम भी तो उनके रिश्तेदार ही हैं न ?’
तुम्हारे सवालों का जवाब घर लौटते समय दूँगी। देख मालकिन का घर आ गया है,अब तुम कोई प्रश्न नहीं करोगी। एकदम शांत रहना।’
घर में प्रवेश करते ही चिंकी की खुशी का ठिकाना ही न रहा। घर की साज-सज्जा,सभी के मनमोहक परिधान,सुगंधित वातावरण,पकवानों की खुशबू आदि देख बहुत खुश हो रही थी चिंकी। जानकी ने चिंकी को किचन में एक तरफ बैठाया और अपने काम में जुट गई।
जैसे ही मालकिन किचन में आई,चिंकी को बैठा देख (आश्चर्य से )अरे! जानकी यह कौन है ?’
‘मालकिन मेरी बेटी है। माफ करना,आज घर पर कोई नहीं था। इसे किसी के पास छोड़ नहीं सकती थी तो बस…।’
‘अच्छा किया। आज का समय नहीं हैं कि अपने बच्चों को किसी के पास छोड़ें। अब तू फटाफट काम निपटा। मेहमान आते ही होंगे। चिंकी तुम यहाँ क्या करोगी ? चलो मेरे साथ।’
‘माँ मैं जाऊँ… !’ माँ ने आँखों के इशारे से जाने की अनुमति दी।
‘तुम्हारा नाम क्या है ?’
‘मैं चिंकी हूँ। बस ६ साल की ही हूँ…। मालकिन ने नाम क्या पूछा,चिंकी ने तो अपना पिटारा ही खोल दिया। मालकिन उसकी मासूमियत भरी बातों को सुन मन-ही-मन मुस्कुरा रही थी।
‘मालकिन,माँ बता रही थी कि आप आज की पूजा में रिश्तेदारों को बुलाती हो। अब समझ आया,आप मुझे क्यों नहीं बुलाया करती थी ?’
‘बताओ तो भला,क्यों नहीं बुलाया करती थी ?’
‘आप मेरा नाम जो नहीं जानती थी! तो कैसे बुलाती ?’
मालकिन मुस्कुराती है,और चिंकी को अपने बच्चों के पास बैठा देती है।
पूजा समाप्त होने पर चिंकी को प्रसाद,मिठाईयाँ, बढ़िया भोजन आदि घर पर आए सभी रिश्तेदारों की भाँति दिया गया। चिंकी को खिलौने भी दिए गए। बहुत खुश थी चिंकी,उसकी खुशी उसकी आँखों में झलक रही थी।
घर लौटते समय-‘माँ आज मैं बहुत खुश हूँ। अब ‘मकर संक्रांति’ फिर कब आएगी माँ… ?’
परिचय-डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैL जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैL श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैL महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी-एच.डी. की उपाधि ली है। आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैL रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा ‘हिंदी के श्रेष्ठ बाल नाटक’ पुस्तक का प्रकाशन तथा आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंL हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंL आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!` ,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैL यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस,विश्व महिला दिवस पर’ सावित्री बाई फूले’ बोधी ट्री एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैL