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जो कह दे मेरा दोस्त…

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ 
गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश)

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आज भी सोच कर आती है अनभिप्रेत मुस्कान,
जब यार की यारी से बढ़कर नहीं था कुछ महान।
सही-गलत का भेद नहीं था,सोच की सीमा सीमित थी,
जो कह दे मेरा दोस्त,उसी की सच से ऊपर कीमत थी।

भाई नहीं था फिर भी उसको,भाई से ज़्यादा ‘भाई’ कहा,
उसके साथ घूमने पर,सब घरवालों का तंज़ सहा।
दोस्ती की कसम ने हमसे क्या-क्या काम कराए,
साथ देने को,सिगरेट के दो कश हमने भी लगाए।

आशिक़ी का चढ़ा था जब हमारे सर भी बुखार,
कुछ दिन तो दोस्त से हमने भी सीखा था गिटार।
उसकी सहेली जब चुपके से उसका ख़त लाई थी,
ख़ुशी में हमने,साईकिल की गद्दी भी नई लगवाई थी।

जेब खर्च के पैसों से जब शाहरुख की पिक्चर देखी थी,
तू मेरे घर,मैं तेरे घर था,अच्छी गोली खेली थी।
मुश्किल था जब पढ़ना तो,ऐसी भी जुगत लगाई हमने,
पाठ बांट कर प्रश्न पढ़े,मिल-जुलकर नाव चलाई सबने।

शौक थे सबके अपने,प्रतिभा भी मिली थी वरदान में,
सबको बता नहीं पाए दिल की,कह देते थे मेरे कान में।
साथ तो था मैं उनके हर पल,पर साथ नहीं दे पाया था,
उनकी छोड़ो,मैं कब अपने मन की ही कर पाया था।

चाय की टपरी पे घंटों कल्पनाओं के पुल बांधते थे,
पैसे देने की बारी में एक-दूसरे का मुँह ताकते थे।
होंगे एक दिन अमीर,ये रौब तो सभी झाड़ते थे,
बड़े हो के हिसाब चुकता करने की डींगें भी हांकते थे।

अब सिगरेट बंद करने की डॉक्टर सलाह दे रहा है,
चाय छूटी,गिटार किसी बक्से में बंद धूल खा रहा है।
न जाने कब फिर से एक पिक्चर साथ में देख पाएंगे,
जो पढ़े थे पाठ साथ में मिलकर,कब उनको दोहराएंगे।

कुछ कर गुजरे अपने मन की,कुछ दौड़े-भागे जाते हैं,
बात हो जाती है कुछ से,कुछ ना जाने किस गंगा नहाते हैं।
साईकिल से कार तक,इन सालों में प्रगति कर चुका हूँ,
कोई दोस्त आएगा हिसाब मांगने,इसी प्रतीक्षा में रुका हूँll

परिचय-मयंक वर्मा का वर्तमान निवास नई दिल्ली स्थित वायुसेना बाद (तुगलकाबाद)एवं स्थाई पता मुरादनगर,(ज़िला-गाजियाबाद,उत्तर प्रदेश)है। उपनाम ‘निमिशाम्’ है। १० दिसम्बर १९७९ को मेरठ में आपका जन्म हुआ है। हिंदी व अंग्रेज़ी भाषा जानने वाले श्री वर्मा ने बी. टेक. की शिक्षा प्राप्त की है। नई दिल्ली प्रदेश के मयंक वर्मा का कार्यक्षेत्र-नौकरी(सरकारी) है। इनकी लेखन विधा-कविता है। लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों की अभिव्यक्ति है। पसंदीदा हिंदी लेखक व प्रेरणापुंज डॉ. पूजा अलापुरिया(महाराष्ट्र)हैं।

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