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`आत्मनिर्भर भारत` के सपने और चुनौतियां

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने `कोरोना` प्रकोप से त्रस्त,आर्थिक नजरिए से ध्वस्त और अंतर्मन से जले-भुने भारतवासियों के लिए २० लाख करोड़ रुपए के जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है,वह बदलते वक्त के लिहाज से दूरदर्शितापूर्ण कदम है। साथ ही जितनी चतुराई से उन्होंने स्थानीय को आवाज यानि `लोकल को वोकल` बनकर वैश्विक बनाने का आह्वान किया है,वह बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की लगभग तीन दशकीय परिलक्षित मानसिकता पर करारी चोट भी है। लगे हाथ श्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत बनाने के सपने संजोते हुए समाज के सभी संघर्षशील वर्गों को संतुष्ट करने की जो भागीरथ पहल की है,उसके गहरे आर्थिक और सियासी निहितार्थों की भी अनदेखी नहीं की जा सकती है। हालांकि,जब तक हम लोग इन सुनहरे सपनों के मुकाबले,रह-रह कर समुपस्थित होने वाले बाधक तत्वों यानि कि प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से उनसे जुड़ी हुई विभिन्न चुनौतियों की शिनाख्त नहीं कर लेंगे,उनकी बारीकियों को नहीं समझ लेंगे,तब तक प्रधानमंत्री के नेक प्रयासों को पूरा करने की खातिर अपना समग्र और सर्वश्रेष्ठ योगदान नहीं दे पाएंगे। दो टूक शब्दों में कहें तो सकारात्मक जनभागीदारी और स्पष्ट नियम-परिनियम के बल-बूते ही इस दुर्लभ लक्ष्य को साधा जा सकता है। कहना न होगा कि,जिस प्रकार से तमाम बड़े निर्णयों को लेने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदैव आगे रहे हैं,वो इन सूक्ष्म वैचारिक पहलुओं,जिससे आम मानव मन गहरे तक प्रभावित होता आया है,के संदर्भ में भी दो टूक निर्णय लेने के लिए अपनी संसद को, अपनी राज्य सरकारों के विधान मंडलों को राजी कर लेंगे,ताकि नए भारत के सपनों को आत्मनिर्भर भारत का पंख लगाया जा सके। यहाँ यह भी स्पष्ट कर दें कि जब सुधारों के जरिए ही नए भारत के नवनिर्माण का सपना संजोया गया है,तो वह आम जनजीवन के हर क्षेत्र में दृष्टिगोचर भी होना चाहिए। इन गूढ़ अर्थों में समकालीन कोरोना आपदा अपने देश के लिए जो संकेत,संदेश और अवसर लेकर उपस्थित हुआ है,उसे प्रधानमंत्री व उनकी तेज स्वभाव वाली मंडली ने तो समझ लिया है, और उसी प्रकार से अपना व्यवहार भी प्रदर्शित किया है,लेकिन जब तक हम लोग इसे समझेंगे नहीं,औरों को समझाएंगे नहीं,तब तक उनका यह साहसिक कदम भी पक्ष-प्रतिपक्ष की सियासत की दो पाटों में महज पिसकर रह जाएगा। अब यह साफ है कि,आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इसलिए इस पर अविलम्ब ध्यान केन्द्रित किए जाने की जरूरत है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि सरकार की नई घोषणाएं देश में आर्थिक सुधारों के एक क्रांतिकारी दौर की शुरुआत कर चुकी है। यह पैकेज देश को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले कुटीर,लघु,मझोले उद्योगों के साथ ही बड़े उद्यमियों,हर मौसम में दिन-रात परिश्रम करने वाले किसानों व श्रमिकों और ईमानदारी से कर अदा करने वाली आम जनता के लिए भी राहत लेकर आया है। यह सुधार खेती से जुड़ी पूरी आपूर्ति कड़ी में दिखाई पड़ेगा,ताकि किसान भी सशक्त हो व कोरोना जैसे संकट का भविष्य में सामना कर सकें। इसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों में संगठित और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए भी कई बातें हैं। इससे स्पष्ट है कि जीडीपी के १० प्रतिशत के समतुल्य इस आर्थिक पैकेज के सहारे प्रमं ने सभी को संतुष्ट करने के भरसक प्रयत्न किए हैं। अब इसमें वह कहाँ तक सफल हो पाएंगे,वक्त बताएगा। वास्तव में कोरोना प्रकोप अभिप्रेरित लगभग दो माह की चरणबद्ध राष्ट्रीय `तालाबन्दी` से परेशान आम-अवाम को प्रमं ने आत्मनिर्भर भारत बनाने का जो मूल मंत्र दिया है,उसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए अब हरेक भारतवासी को आगे आना चाहिए और अपना श्रेष्ठ देने की खातिर सदैव तत्पर रहना चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है,तो वह आत्म केन्द्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता,बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख,सहयोग और शांति की चिंता होती है। भारत के लक्षण व कार्यों का प्रभाव विश्व कल्याण पर पड़ता है। निःसन्देह,कोरोना विषाणु के प्रकोप ने दुनिया के समक्ष जो अकल्पनीय और अभूतपूर्व संकट पैदा कर दिया है,उसके मुकाबले हारना,थकना,टूटना और बिखरना मानव जाति का स्वभाव नहीं है। इसलिए,हम लोग यदि इसको जीतने में सफल रहे,तो इसके साथ-साथ जीने के प्रयत्नों को भी बढ़ावा देंगे,अपेक्षित सावधानी बरतते हुए।

परिचय-गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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