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साहित्यकार भी कर सकता है विज्ञान लेखन

हिंदी में वैज्ञानिक लेखन पर वेबिनार

मुंबई(महाराष्ट्र)l

जिस प्रकार एक वैज्ञानिक, वैज्ञानिक होते हुए भी ललित साहित्य लिख सकता है,उसी प्रकार कोई साहित्यकार चिंतक लेखक तर्कशील बुद्धि पर तथ्यों का प्रयोग करते हुए विज्ञान लेखन कर सकता है।
यह बात विज्ञान प्रचार-प्रसार, वैश्विक हिंदी सम्मेलन व हिंदुस्तानी भाषा अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी में वैज्ञानिक लेखन पर एक वैश्विक वेबिनार में विज्ञान के जाने-माने हस्ताक्षर देवेंद्र मेवाड़ी ने कहीl आपने जो कुछ कहा,उसमें बहुत-सी बातें सभी के लिए एकदम नई थीं। उन्होंने देश के कई बड़े साहित्यकारों द्वारा विज्ञान लेखन की जानकारी भी दी‌।
इस वेबिनार में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में विज्ञान लेखन में सक्रिय प्रमोद भार्गव(वरिष्ठ पत्रकार) ने बताया कि वे वैज्ञानिक नहीं हैं,लेकिन विभिन्न वैज्ञानिक विषयों पर उनके लिए देशभर के विभिन्न समाचार-पत्रों में निरंतर प्रकाशित होते हैं,और उन्होंने ऐसे विषयों पर पुस्तकें भी लिखी है।
सोशल मीडिया पर विज्ञान प्रचार-प्रसार के अंतर्गत विविध सामग्री प्रस्तुत कर रहे राहुल खटे की इस आयोजन में प्रमुख भूमिका रही। आयोजन में विभिन्न क्षेत्रों के अनेक महत्वपूर्ण लोगों की उपस्थिति में डॉ. एम. एल. गुप्ता ‘आदित्य’ ने बताया कि,वैश्विक हिंदी सम्मेलन के माध्यम से किस प्रकार वैज्ञानिक साहित्य की जानकारी विद्यार्थियों और विश्वविद्यालयों तक पहुंचाई जा सकती है। हिंदुस्थानी भाषा अकादमी के अध्यक्ष सुधाकर पाठक ने संस्था के माध्यम से हिंदी के शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए किए जा रहे देशव्यापी प्रयासों की जानकारी दीl उन्होंने जानकारी दी कि अकादमी त्रैमासिक पत्रिका ‘हिंदुस्तानी भाषा भारती’ का नियमित प्रकाशित कर रही है,जिसका प्रत्येक अंक किसी एक भारतीय भाषा का विशेषांक होता है। अपनी तरह के इस विशिष्ट आयोजन को देशभर से महत्वपूर्ण प्रतिसाद मिला।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

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